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प्रतिवर्ष 11 मई को प्रौद्योगिकी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन वर्ष 1999 में भारतीय वैज्ञानिकों ने बड़ी तकनीकी सफलता प्राप्त करते हुए पहली बार बैंगलोर में स्वदेशी विमान ''हंसा III'' के रूप में सफलता प्राप्त की। साथ ही, इसी दिन त्रिशूल मिसाइल का भी सफल परीक्षण हुआ था।
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देश इस दिन को बड़े गर्व से अपने वैज्ञानिकों के सम्मान के रूप में मनाता है। यहां हम आज आपके लिए पांच बड़े तकनीकी आविष्कारों की झलक लेकर आए हैं जोकि भारत द्वारा विश्व को दिए गए।
1. मंगल आॅर्बिटर मिशन
भारत द्वारा 24 सितंबर 2014 को अंतरिक्ष इतिहास में एक बड़ा अध्याय लिखा गया जबकि तीन देशों के विशिष्ट क्लब को भेदते हुए पहले ही प्रयास में कम लागत वाले मंगल अंतरिक्ष यान को लाल ग्रह के चारों ओर कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया गया।
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इस अंतरिक्ष यान का प्रक्षेपण इसरो द्वारा 5 नवंबर 2013 को आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से स्वदेश निर्मित पीएसएलवी रॉकेट से किया गया था। यह 1 दिसंबर 2013 को पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण से बाहर निकल गया था।
2. भारत की अपनी नेविगेशन प्रणाली
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) द्वारा देश के सातवें और आखिरी नेविगेशन सैटेलाइट ले जाने वाला पीएसएलवी-सी33 रॉकेट लॉन्च कर दिया है। इस लॉन्च के साथ ही नेविगेशन प्रणाली का कार्य पूरा करते हुए अब भारत का खुद का जीपीएस नेविगेशन सिस्टम एनएवीआईसी-1जी हो गया है। इसके बाद से अब भारत उन देशों में शामिल हो गया है जिनकी स्वयं की नेविगेशन प्रणाली है। इसके बाद अब हमें नेविगेशन के लिए दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
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3. स्वदेशी विमान हंसा-प्प्प् की पहली उड़ान
इसी दिन, पहले स्वदेशी विमान हंसा-III ने अपनी पहली उड़ान भरी थी। नेशनल एयरोस्पेस लेबोरेटरीज, बैंगलोर द्वारा तैयार यह दो सीटों वाला ट्रेनर विमान है। जहां तक इसको तैयार करने के लिए वित्त की बात है तो वह सीएसआईआर और आईआईटी कानपुर द्वारा उपलब्ध करवाया गया। यह 842 कि.मी. की सीमा में 213 किलोमीटर प्रति घंटे की गति उड़ सकता है। यह स्पॉर्ट्स एवं उड़ान के शौकीनों के लिए आदर्श यान है। विद्युत संरक्षक यह यान रात को भी उड़ सकता है।
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4. ब्रह्मोस
भारतीय सेना के पास ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली सबसे सटीक, घातक एवं शक्तिशाली हथियार है। यह विश्व के सबसे तेज एंटी शिप क्रूज मिसाइल आॅपरेशन में से एक है। वर्ष 2007 के बाद ब्रह्मोस का भूमि पर हमला करने वाला संस्करण आॅपरेशन में लाया गया। ब्रह्मोस मेनुवरेबल मिसाइल है यानि छोड़े जाने पर अपने लक्ष्य तक पहुँचते-पहुँचते यदि उसका लक्ष्य मार्ग बदल ले तो यह मिसाइल भी अपना मार्ग बदल लेती है और उसे निशाना बना लेती है।
5. चंद्रयान-1
चंद्रमा की तरफ कूच करने वाले भारत के पहले मानवरहित अंतरिक्ष यान चंद्रयान-1 को 2008 में चन्द्रमा पर भेजा गया जोकि 2009 तक सक्रिय रहा। इसका उद्देश्य चंद्रमा सतह के विस्तृत नक्शे, जलांश व हीलियम की खोज करना था। इस उपग्रह ने अपने रिमोट सेंसिंग यानि दूर संवेदी उपकरणों के जरिये चंद्रमा की ऊपरी सतह के चित्र भेजे।
तकनीकी कारणों के बावजूद भी इस यान ने अपने लक्ष्यों को 95 प्रतिशत तक प्राप्त किया। इसकी सबसे बड़ी उपलब्धि चंद्रमा की मिट्टी में जल के अणुओं की खोज थी।
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