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20 सालों की कड़ी मेहनत के बाद भारत ने बनाया अपना क्रायोजेनिक इंजन
भारतीय अंतरिक्ष एवं अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के. राधाकृष्णन ने कहा कि क्रायोजेनिक इंजन को बनाने में पिछले 20 वर्षो से की जा रही कड़ी मेहनत सफल हुई है। पिछले 3 सालों से की गई कठिन मेहनत आज सफल हुई है। राधाकृष्णन ने स्वदेश निर्मित प्रक्षेपण यान, जीएसएलवी-डी5 के सफल प्रक्षेपण के बाद ये बातें कहीं। स्वदेश निर्मित इस प्रक्षेपण यान के जरिए भारत ने रविवार को एक संचार उपग्रह, जीसैट-14 को अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित किया।
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राधाकृष्णन ने कहा, मैं यह कहते हुए बेहद उत्साहित एवं गौरवान्वित हूं कि 'इसरो ने कर दिखाया। देश में ही बना क्रायोजेनिक इंजन ने आशानुरूप प्रदर्शन किया और संचार उपग्रह, जीसैट-14 को निर्धारित कक्षा में स्थापित करने में कामयाब रहा। इस अभियान ने अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के दल एवं नेतृत्व की परिपक्वता को दर्शाया है।
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उन्होंने आगे कहा, जीएसएलवी कार्यक्रम की दिशा में यह एक और महत्वपूर्ण पड़ाव है। मैं कहना चाहूंगा कि भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान के लिए यह एक बेहद महत्वपूर्ण दिन है। राधाकृष्णन ने इसरो के सभी वर्तमान एवं पूर्व अधिकारियों का आभार व्यक्त किया और कहा, हम देश के प्रति अपने सभी कर्ज से उऋण हो गए।उन्होंने कहा, इसरो में हम जीएसएलवी प्रक्षेपण यान को नटखट बच्चा कहते थे, लेकिन आज यह नटखट बच्चा आज्ञाकारी हो गया।
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