रिलायंस जियो काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है। देश में रिलायंस जियो का इस्तेमाल किया जा रहा है। कंपनी काफी सेक्टर में अपना व्यापार बढ़ा रही है। ऐसे में व्यापार बढ़ने के साथ-साथ कंपनियोंं को काफी मदद की जरुरत भी होगी। इसी के चलते कंपनी ने एक बढ़ा फैसला लिया है, जो भविष्य में कंपनी को काफी फायदा भी पहुंचाएगा और आने वाली मुश्किलों का भी निवारण करेगा।
Jio की 7 सहायक कंपनियां, जानने के लिए इसे पढ़ें
बता दें, मुकेश अंबानी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज डेन और हैथवे केबल नेटवर्क के साथ साझेदारी की है। इस साझेदारी के चलते रिलायंस जियो अपनी लास्ट माइल केनक्टिविटी में सुधार करेगा। साझेदारी के बाद रिलायंस जियो ने तेजी से बढ़ते दूरसंचार और कंटेंट कारोबार को संभालने के लिए सात सहायक कंपनियों का निर्माण किया है।
आधिकारिक रिपोर्ट के मुताबिक रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) की सात सहायक कंपनियों में जियो कंटेंट डिस्ट्रीब्यूशन होल्डिंग्स, जियो इंटरनेट डिस्ट्रीब्यूशन होल्डिंग्स, जियो टेलीविज़न डिस्ट्रीब्यूशन होल्डिंग्स, जियो केबल और ब्रॉडबैंड होल्डिंग्स, जियो फ्यूचरिस्टिक डिजिटल होल्डिंग्स, जैव डिजिटल डिस्ट्रीब्यूशन होल्डिंग्स और Jio Digital Cableco Pvt. Ltd. शामिल हैं।
दूरसंचार व्यवसाय करेगा बेहतर काम
रिलायंस जियो के एक अधिकारी ने इन सात कंपनियों के बारें में बात करते हुए कहा कि, "ये सहायक कंपनियां केबल सेवाओं के वितरण, इंटरनेट प्रोटोकॉल, प्रसारण, ब्रॉडबैंड इंटरनेट, वायरलेस, डेटा और होस्टिंग सेवाओं के कारोबार को संभालेंगे। विश्लेषकों का कहना है कि नई सेट-अप कंपनियां आरआईएल को अपने दूरसंचार और कंटेंट व्यवसायों के विभिन्न हिस्सों को कुशलता से चलाने में मदद करेंगी।
मिंट की रिपोर्ट ने बताया कि इन सहायक कंपनियों को बनाने वाले एक विश्लेषक के अनुसार रिलायंस जियो को अपनी कंटेंट और दूरसंचार व्यवसायों को कुशलता से प्रबंधित करने में मदद मिलेगी। मुंबई स्थित ब्रोकरेज के एक विश्लेषक ने कहा कि इन सात कंपनियों के निर्माण के बाद कंपनी आगे के जोखिम उठा सकेगी। साथ ही कंपनी को पूंजी जुटाने में काफी आसानी होगी।
इससे पहले आरआईएल ने अक्टूबर में डेन नेटवर्क्स लिमिटेड में 66% हिस्सेदारी के लिए 2,290 करोड़ रुपये और हैथवे केबल और डाटाकॉम लिमिटेड में 51.3% हिस्सेदारी के लिए 2,940 करोड़ रुपये का निवेश किया था। इन सौदों से आरआईएल को 1,100 शहरों में विस्तार करने और 50 मिलियन घरों को लक्षित करने और अपनी तेजी से बढ़ते ब्रॉडबैंड सेवाओं जियो गिगाफाइबर ग्राहकों तक पहुंचाने में मदद मिलेगी।
रिलायंस जियो ईकोम, आईटी और अन्य क्षेत्रों में करेगी व्यापार
विश्लेषकों ने बताया कि भविष्य में ये सहायक कंपनियां दूरसंचार उपकरण या आईटी-सक्षम सेवा उद्योग के निर्माण से संबंधित मनोरंजन, ई-कॉमर्स, टेलीकॉम, इंटरनेट समेत उद्यमों को स्थापित करने में बढ़ावा देगी। 2017-18 आरआईएल की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार कंपनी ने 26 सहायक कंपनियों को समाहित किया है। आरआईएल 84 भारतीय और 42 विदेशी सहायक कंपनियों की पेरेंट हैं। इसमें 25 भारतीय और सात विदेशी कंपनियां सहयोगी हैं और 20 भारतीय और पांच विदेशी कंपनियां संयुक्त उद्यम हैं।