टेलिकॉम इंडस्ट्री में बढ़ते कॉम्पिटीशन और हाई स्पैक्ट्रम की वजह से वोडाफोन-आईडिया (VI) को काफी आर्थिक नुक्सान का सामना करना पड़ा। साल 2020 में ऑपरेटर को 3.72 मिलियन कस्टमर्स का नुक्सान हुआ। इसका मतलब ये है कि फिलहाल वोडाफोन-आइडिया सिर्फ 301.3 मिलियन को अपनी सर्विस दे पा रहे हैं। जो कि मार्केट का सिर्फ 26.34 फीसदी है।
वहीं, दूसरी तरफ अगर हम रिलायंस जियो की बात करें तो ये कंपनी सिर्फ 4 साल पुरानी है लेकिन इस वक्त टेलिकॉम इंडस्ट्री की लीडिंग कंपनी है। साल 2020 में रिलायंस जियो ने सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए 40 करोड़ यूज़र्स को अपने साथ जोड़ा है। भारत में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी ऑपरेटर ने इस आंकड़े को छुआ है। दूसरे स्थान पर भारती एयरटेल है जिसके पास 319.9 मिलियन यूज़र्स हैं।
हालांकि, ये थोड़ा चौंकाने वाला है क्योंकि वोडाफोन-आइडिया और एयरटेल दोनों ही टेलिकॉम कंपनियां 2जी, 3जी और 4जी कस्टमर्स को सर्व करती है। जबकि जियो मे 4जी यूज़र्स के साथ मार्केट में अपनी 35.03 फीसदी हिस्सेदारी बनाई है। यहां हम आपको बताएंगे कि क्या कारण है जिसकी वजह से वोडाफोन-आइडिया के सब्सक्राइबर्स में कमी आ रही है।
ये पूरा मामला रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स से शुरू हुआ था जब वोडाफोन ने 2007 में हॉन्गकॉन्ग के हचिसन ग्रुप के मालिक हचिसन हामपोआ (Hutchison Whampoa) के मोबाइल बिजनेस हचिसन-एस्सार में 67 फीसदी हिस्सेदारी 11 अरब डॉलर में खरीदी थी। जिसके बाद इंडियन टैक्स डिपार्टमेंट ने वोडाफोन पर 20,000 करोड़ की मांग की थी। टैक्स डिपार्टमेंट का कहना था कि इस डील के ज़रिए वोडाफोन टैक्स को अवॉइड कर रही है। टैक्स डिपार्टमेंट ने कंपनी से कैपिटल गेन टैक्स की मां की थी। ये मामला कोर्ट में भी चला था। हाालंकि, वोडाफोन इंडियन टैक्स डिपार्टमेंट के खिलाफ इस केस को जीत गई थी। वहीं, फाइनेंस मिनिस्ट्री ने इस केस को आगे तक जारी रखा।
उसके बाद, साल 2016 सितंबर में रिलायंस जियो ने अपनी फ्री वॉयस कॉल सर्विस को लॉन्च कर दिया था। उस वक्त टेलिकॉम ऑपरेटर्स को कॉलिंग से 90 फीसदी रेवन्यू मिलता था। जिसके बाद ऑपरेटर ने अपने टैरिफ प्लान्स और सभी पैक्स को काफी अफॉर्डेबल कीमत पर पेश किया। रिलायंस जियो ने फिर डेटा प्लान्स को भी सस्ते दामों पर उतारा। इसके अलावा जियो ने जियो फोन और जियो फोन 2 को भी अफॉर्डेबल कीमत के साथ लॉन्च किया। जबकि एयरटेल और वोडाफोन के पास ऐसा कोई विकल्प मौजूद नहीं था।
साल 2018 में रिलायंस जियो को टक्कर देने के लिए वोडाफोन और आइडिया ने विलय की घोषणा कर दी। टेलिकॉम इंडस्ट्री में ये विलय एक प्लेयर के रुप में तो नज़र आया लेकिन फिर जल्द ही रिलायंस जियो की टैरिफ प्लान्स की स्ट्रैटिज़ के आगे ये विलय भी टिक नहीं पाया। जिसका नतीजा ये हुआ कि कस्टमर्स वोडाफोन-आइडिया का नेटवर्क छोड़कर रिलायंस जियो नेटवर्क पर शिफ्ट होने लगे। हालांकि, अब मार्केट में वीआई तीसरे नंबर के प्लेयर है और भारती एयरटेल ने दूसरे स्थान हासिल किया है।
साल 2019 में, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के फेवर में AGR यानि Adjustive gross revenue वर्डिक्ट सुनाया। इस फैसले के मुताबिक एयरटेल और वोडाफोन को बकाया राशि भरने के लिए फैसला सुनाया गया। हालांकि, कोर्ट के इस फैसले से कंपनियों को थोड़ी राहत ज़रुर मिली थी क्योंकि कोर्ट ने इसे किश्तों में चुकाने की ढील दे दी थी।
कोर्ट ने इसके लिए दोनों कंपनियों को 10 साल का वक्त दिया है। लेकिन इस फाइनेंनशियल ईयर के अंत तक कंपनियों को 10 फीसदी अमाउंट क्लियर करनी होगी। एजीआर पर फैसले की वजह से कंपनियों को काफी घाटे का सामना करना पड़ा था। उस दौरान वोडाफोन को 50,921 करोड़ का नुक्सान हुआ था। जो कि कॉरपोरेट इतिहास का सबसे बड़ा घाटा माना गया था।
जिसके बाद, वोडाफोन-आइडिया ने अपनी एक ब्रांड आइडेंटिटी की घोषणा कर दी। कंपनी अब VI के नाम से जानी जाती है। इसके अलावा कंपनी ने अपनी ऐप्स और टैरिफ प्लान्स में भी कुछ बदलाव किए हैं। खैर अब देखना होगा कि वीआई की Q2 2021 में परफॉर्मेंस कैसी रहती है। जिसके बाद ही ये फिगर आउट किया जा सकेगा कि इन बदलावों का कंपनी को कितना फायदा हुआ है।