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सीपीयू में हायपर-थ्रेडिंग से क्या होता है?
CPU यानी सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट जो की कंप्यूटर का दिमाग कहलाता है और कई सारे कम्प्यूटेशनल काम करता है। जैसे जैसे टेक्नालजी में बदलाव आया है वैसे वैसे सीपीयू भी कई सारे कोर और हाइपर-थ्रेडिंग से लैस आने लगा है।
आम तौर पर सीपीयू जब कई सारे कोर और हाइपर-थ्रेडिंग से लैस होता है तो वह बेहतर परफॉर्म करता है और वहीँ जब सीपीयू सिंगल कोर और उसमें हाइपर-थ्रेडिंग नहीं होता है तो वह पुरानी स्पीड से ही काम करता है।
हाइपरथ्रेडिंग क्या होता है?
2002 में इंटेल ने यह कांसेप्ट डेस्कटॉप CPUs Pentium 4 HT के साथ इंट्रोडस किया था। पेन्टियम 4 में सिर्फ एक सिंगल सीपीयू कोर था इसलिए वह एक साथ बहुत सारे काम नहीं कर सकता था। इस चीज़ को ठीक करने के लिए हाइपर-थ्रेडींग किया गया जिससे CPU कोर फिजिकल रिसोर्सेज को शेयर करने लगा।
और साथ में इससे सिस्टम की स्पीड तेज़ हो गयी लेकिन यह मल्टपल कोर की तरह बेहतरीन काम नहीं करता था। इसके अलावा, हाइपरथ्रेडिंग का परफॉरमेंस पूरी तरह एप्लीकेशन पर निर्भर करता था। वहीँ यह भी देखा गया होगा कि हाइपरथ्रेडिंग होने से कुछ एप्लीकेशन का पर्फोर्मस कम होने लगा क्योंकि कई सारे प्रोसेसर रिसोर्सेज लॉजिकल प्रोसेसर के साथ शेयर होते थे।
हाइपरथ्रेडिंग के उपयोग
जब हाइपर-थ्रेडिंग एनेबल किया जाता है तो हर लॉजिकल प्रोसेसर स्वतंत्र रूप से काम करता है साथ ही उसी कोर के वर्चुअल प्रोसेसर से वह उसे रोका रुक भी जा सकता जाता है। अगर किसी कारण की वजह से एक लॉजिकल कोर ख़राब हो जाता है तो अन्य किसी लॉजिकल कोर से वही काम किया जाता है। हाइपरथ्रेडिंग से प्रोसेसर एक निश्चित समय में अधिक कार्य या इंस्ट्रक्शन ले सकता है।
हाइपरथ्रेडिंग एक हार्डवेयर है जो वर्चुअलाइजेशन प्रोसेसर हार्डवेयर बेस है। हाइपरथ्रेडिंग का इस्तेमाल आपको रोज़ मरा के कामों में नहीं दिखेगा। इस एप्लीकेशन का 3D rendering प्रोग्राम, heavy-duty audio/video transcoding apps, और साइअन्टिफिक एप्लीकेशन जो की मैक्सिमम थ्रेडेड परफॉर्मन्स के लिए इस्तेमाल होता है। यही नहीं इसकी परफॉर्मन्स अधिकतम 30% बढ़ाई जा सकती है।
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