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सस्ता एंड्रॉइड स्मार्टफोन लेने ले पहले जान लें Android One का इतिहास
एंड्रायड वन कोई सॉफ्टवेयर नहीं है। यह गूगल का एक प्रॉजेक्ट है। एंड्रायड वन एक गूगल प्रोग्राम है, जहां यह फोन कंपनियों के साथ पार्टनरशिप कर कम कीमत पर हाई क्वालिटी के एंड्रायड स्मार्टफोन बनाती है। एंड्रायड वन स्मार्टफोन की शुरुआत सबसे पहले भारत से हुई थी, लेकिन फिर गूगल ने अपने इस खास प्रोग्राम को पूरे एशिया, अफ्रीका समेत दक्षिण अमेरिका में ही इसे फैला दिया।
गूगल ने इस फोन ग्लोबली लॉन्च किया था, जो यूजर्स 10,000 रुपये यानी करीब 6-12 हजार के रेंज का एंड्रॉइड फोन लेना चाहते थे, उनके लिए यह बेहतर विकल्प था।
अब गूगल इस सीरीज में कुछ खास करने चाह रहा है। वो इन कम कीमत में हाई क्वालिटी फोन यानी मध्य-स्तरीय फोन में वो सबकुछ डालने की सोच रहा है जिसका आपको काम हो। यानी कि आपके फोन में वहीं चीज हो जिसका आपको काम है और जिसका नहीं है वो ना हो।
क्यों बनाया गया था एंड्रॉइड वन
एंड्रॉइड वन की रणनीति एक क्लीनर एंड्रॉइड को मार्केट में उतारना है, जो पहले से भी ज्यादा असरदार साबित हो सके। आपको बता दें कि एंड्रॉइड वन के शुरुआत के वक्त गूगल ने कहा था कि हम जल्द ही एचटीसी, अल्काटेल टच, लेनोवो, जोलो, पैनासोनिक, लावा, इंटेक्स आदि के फोन भी इस पर आएंगे। उनमें अलग-अलग स्क्रीन साइज, ज्यादा बेहतर फीचर और कलर होंगे। इनके फीचर और दाम अभी के ऐंड्रॉयड वन फोन से ज्यादा भी हो सकते हैं।
अब गूगल के इस एंड्रॉइड वन फीचर्स ट्रांजिशन को बेहतर ढंग से समझने के लिए हम एंड्रॉइड वन का क्या इस्तेमाल करते थे और अब यह क्या है, इस पर बहुत करीब से विचार करेंगे।
* दरअसल, विकासिल देशों का विकसित और उभरता बाजार गूगल के लिए एक बेहद खास अवसर था।
* इसके अलावा एंड्रायड वन के जरिए समाज के हर वर्ग के हर किसी लोगों को इंटरनेट से घुलाला-मिलाना भी खास मकसद था। एंड्राइ़ड वन के बाद इस कड़ी में काफी कामयाबी भी मिली है। काफी मध्य वर्गीय लोगों को इंटरनेट के बारे में पता चला है।
* इन सभी चीजों के अलावा गूगल एंड्रॉइड वन प्रोग्राम के जरिए अपने राजस्व को बढ़ावा देना चाहता था। इसमें भी गूगल को कामयाबी हासिल हुई है।
* गूगल यूजर्स को लगातार एंड्राइड स्मार्टफोन का अनुभव दिलाने के लिए लो-एंड हार्डवेयर और हाई-एंड सोफ्टवेयर का उपयोग भी करना चाहता था।
* Google ने माइक्रोमैक्स, कार्बन, स्पाइस, मिटो और कई अन्य निर्माताओं के साथ एक निश्चित बजट के तहत फोन बनाने के लिए काम किया। हालांकि गूगल ने अन्य निर्माताओं द्वारा निर्धारित गुणवत्ता और प्रदर्शन के न्यूनतम मानक को पूरा किया।
* गूगल के इस प्रोग्राम के जरिए जिस भी यूजर्स को एंड्राइड स्मार्टफोन मिला उसे इस रेंज में यह सबसे ज्यादा संतुष्ट करने वाले एंड्रॉइड फोन लगा।
* यह फोन कम स्पेक के साथ स्पीड भी काफी बेहतर देता था।
इतनी सारी खूबियों के बाद भी यह फोन मार्केट में अपनी एक अलग पहचान बनाने में कामयाब नहीं हो पाया। खराब मार्केटिंग के अलावा भी इसके कूछ कारण थे। जैसे इस फोन में कुछ कमियां भी थी।
एंड्रॉइड वन प्रोग्राम
इसके जरिए लोगों को एंड्रॉइड फोन का पूरा अनुभव मिल सकता हैं। अब एंड्रॉइड वन ने फ्लैगशिप फोन पर अपना ध्यान केंद्रित कर दिया है क्योंकि वो अब अपनी सीमाओं को सीमित नहीं रखना चाहते हैं। एंड्रॉइड वन ने बड़ी-बड़ी कंपनी जैसे जिओमी, मोटोरोला और एचटीसी के साथ मिलकर यूजर्स को बढ़िया फोन उपलब्ध करवाने पर काम कर रहा है। इन फोन का उपयोग करना आपको नेक्सस और पिक्सल स्मार्टफोन जैसा लगेगा। गूगल ने यह भी आश्वासन दिया है कि दो साल के लिए सोफ्टवेयर अपडेट भी होंगे।
सस्ते स्मार्टफोन के लिए क्यों खास है एंड्रॉइड वन
एंड्रॉइड वन ने अपनी सीमाओं में बदलाव जरूर किया है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उसने देश के उभरते हुए बाजारों को देखना छोड़ दिया है। दरअसल, एंड्रॉइड गो पुराने एंड्रॉइड प्रोग्राम का ही एक नया नाम है लेकिन यह एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम की कॉन्फ़िगरेशन है। इसमें एंड्रॉइड 8.0 ओरेओ (Android 8.0 Oreo) की शुरुआत इनके ऑपरेटिंग सिस्टम को सोफ्टरवेयर से ऑप्टेमाइज करने के लिए ट्वीक करती है। पहले एंड्रॉइड वन में गूगल ने फोन निर्माताओं को एक निर्धारित मानकों के अंतर्गत हार्डवेयर में संशोधन करने के लिए कहा था, लेकिन अब एंड्रॉइड गो प्रोग्राम के आने से फोन निर्माताओं के सामने पहले जैसे कोई मानक नहीं है। इसके लिए एंड्रॉइड वन यूजर्स को एंड्रॉइड का एक अच्छा अनुभव कराना चाहता है।
निष्कर्ष
एंड्रॉइड वन ने अपने नए प्रोग्राम के लिए यूजर्स के लिए सुविधाएं बढ़ा दी है। कम कीमत में एंड्रॉइड का शौक रखने वाले यूजर्स अच्छे सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर का उपयोग कर सकेंगे। गूगल एंड्रॉइड वन के जरिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को नए तकनीक और सोफ्टवेयर, हार्डवेयर से लैस वाले स्मार्टफोन का अनुभव कराना चाहता है।
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