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क्या आप जानते हैं कि वायरलेस चार्जर कैसे काम करता है?
आपने भी वायरलेस चार्जिंग के बारे में सुना होगा। आपने सोचा होगा कि बिना वायर फोन कैसे चार्ज होता होगा। हम आपको बताते हैं।
आज बाज़ार में ग्राहक को कुछ नया देने और स्टेंडर्ड बढ़ाने के लिए मोबाइल कंपनियाँ वायरलेस चार्जिंग जैसे ऑप्शन दे रही हैं। इस दौड में एप्पल, सैमसंग जैसे कंपनियाँ आगे हैं। ये कंपनियाँ क्यू1 वारलेस चार्जिंग का फीचर दे रही हैं। आइये देखें क्या है वायरलेस चार्जिंग?
यह कैसे काम करता है? इसमें मैग्नेटिक इंडकशन और मैग्नेटिक रिजोनेन्स काम में लिया जाता है। वायरलेस चार्जिंग में भी वायर होता है, लेकिन यह आपके फोन से जुड़ा हुआ नहीं होता है, इसलिए आपको चार्जिंग में केवल फोन को ड्रॉप करना होता है। चार्जिंग स्पेस कई साइज़ और शेप में आता है। ऐसा कहा जाता है कि आपको अपने फोन के पीछे राइट स्पॉट लगाना होता है, इस राइट स्पॉट पर चार्जर के माध्यम से यह काम करता है।
यह कैसे काम करता है?
जैसा कि हमने ऊपर बताया है, इसमें दो सतहों के बीच पावर सिगनल्स ट्रांसमिट करने के लिए मैग्नेटिक इंडकशन और मैग्नेटिक रिजोनेन्स का इस्तेमाल किया जाता है। बताया जाता है कि इन डिवाइसों में बिना एक दूसरे को टच किए करंट प्रवाह करने की क्षमता होती है।
चार्जर का बेस पावर सप्लाई में प्लग किया जाता है और इसमें एक ट्रांसमिटर कोइल होता है, जब कि फोन में रिसीवर कोइल होता है।
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जब करंट का प्रवाह होता है तो बेस स्टेशन करंट भेजता है, यदि रिसीवर कोइल पास में ही होता है तो रिजोनेन्स सिगनल्स में बदल जाता है। इस तरह सिग्नल बदलते हैं और चार्जिंग होती है।
बैटरी कोइल से कनेक्टिड होती है और मैग्नेटिक फील्ड द्वारा पैदा की गई एनर्जी से बैटरी चार्ज होती है।
क्यू1 की तरह ही पावरमेट और रिजेन्स भी ऐसे ही वायरलेस चार्जिंग स्टैंडर्ड हैं। ये भी इसी लॉजिक पर काम करते हैं। यही कारण है कि क्यू1 इनेबल्ड फोन पावरमेट बेस पर सिग्नल वेरिएशन के कारण धीरे चार्ज होते हैं।
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