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जल्दी ही होने लगेगा आधार कार्ड आधारित लेन-देन (मुद्रीकरण प्रभाव)
भारत को कैशलेस अर्थव्यवस्था बनाने के लिए आधार कार्ड को सबसे मजबूत स्तम्भ के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।
भारत में हुए मुद्रीकरण के साथ, सरकार ने इस देश की अर्थव्यवस्था को कैशलेस बनाने का निर्णय भी लिया है। यह निर्णय भारत को पूरी तरह से डिजीटल बनाने के लिए किया गया है।
ऐसा जल्दी ही हो सकता है कि हम महसूस करें कि सरकार अपने लक्ष्य को प्राप्त कर रही है। हालांकि, प्राानमंत्री मोदी ने पहले ही ट्वीटर पर घोषणा कर दी थी कि वो मन की बात में लोगों से अनुरोध करेंगे कि लोग डिजीटल लेन-देन करें और पिछले रविवार को उन्होंने कुछ ऐसा ही लोगों से कहा। उन्होंने कहा कि लोग कम से कम कैश का इस्तेमाल करें और हर जगह कार्ड से ही पेमेंट करें या ई-वॉलेट का इस्तेमाल करें।
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इसके अलावा, सरकार के द्वारा कैशलेस पेमेंट के लिए कई सारे कार्यक्रम भी चलाएं जा रहे हैं जो कि लोगों को जागरूक बना रहे हैं और उन्हें ऐसा करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में भी इन कार्यक्रमों को जल्द ही चलाया जाएगा।
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हाल ही में ईकोनॉमिक टाइम्स ने एक खुलासा किया है कि 12 डिजिट वाला आधार नम्बर, सभी कार्ड के ट्रांसजेक्टशन को रिमूव कर सकता है। जिससे भारत की अर्थव्यवस्था को कैशलेस बनने में मदद मिलेगी और लोगों को भी इस प्रक्रिया में कोई दिक्कत नहीं आएगी। इसका मतलब साफ है कि आधार कार्ड को इसके लिए सक्षम बनाया जाएगा।
एक स्पष्ट नीति
इस पहल की शुरूआत, नीति आयोग के द्वारा की गई है जो कि सरकार की नीति बनाने वाली संस्था होती है और इसकी सोच पर ही आधी से अधिक नीतियों को बनाया और नियोजित किया जाता है। आपको बता दें कि पहले इसे ही योजना आयोग कहा जाता था जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बदलकर नीति आयोग कर दिया है। इसलिए, ऐसा स्पष्ट हो चुका है कि पीएम अब आधार कार्ड को लेकर एक स्पष्ट नीति बनाने वाले हैं जो कि देश हित में होगा।
लेन-देन, कार्डलैश और पिनलैश हो सकता है
आधार कार्ड के डायरेक्टर जनरल अजय पांडे का कहना है कि आधार कार्ड सक्षम लेन-देन, कार्डलैश और पिनलैश हो सकता है। यह, एंड्रायड और आईओएस फोन यूजर्स के लिए डिजीटली सक्षम होगा और लोगों को सिर्फ आधार नम्बर और फिंगरप्रिंट / आईरिस प्रमाणीकरण ही देना होगा। हालांकि, यह एक बहु-आयामी रणनीति है और इसे पूरी तरह से लोगों के बीच आने मं थोड़ा समय लग सकता है। लेकिन इससे कालेधन पर लगाम कसेगा और सरकार की नज़र में हर लेन-देन का ब्यौरा रहेगा। इनके अनुसार, सरकार इस दिशा में काम करना शुरू कर चुकी है और जल्दी ही लोगों तक इसकी सूचना आ जाएगा।
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आईरिस या थम्ब प्रमाणीकरण प्रणाली इनबिल्ट
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने हाल ही में एक बयान में कहा है कि नीति बनाने वाले मोबाइल बनाने वालों से भारत में उपलब्ध करवाये जाने वाले मोबाइल फोन में इनबिल्ट आईरिस और थम्ब आईडेंटिफिकेशन सिस्टम को देने की मांग कर रहे हैं। ताकि आने वाले समय में लोगों को ऑनलाइन लेन-देन में किसी प्रकार की समस्या न हो जब इसे आधार कार्ड से जोड़ दिया जाएं। कांत ने यह भी बताया कि सरकार, एक ऐसी प्रणाली भी विकसित करने वाली है जिससे नकदी लेनदेन मंहगा हो जाएगा।
डिजिटल लेन-देन का सिलसिला
सरकार का अंतिम उद्देश्य यह है कि लोग, पूरी तरह से ऑनलाइन लेनदेन ही करें और इसके लिए एक मजबूत प्रणाली बनें जिसे बार-बार बदलने की आवश्यकता न पड़ें। इस बारे में आईटी सेक्रेटरी, अरूणा सुंदराजन ने बयान दिया है कि मंत्रालय ने देश को पूरी तरह से कैशलेस बनाने के लिए 100 करोड़ रूपए का बजट बनाकर रखा है जिससे छोटे-छोटे व्यापारियों को भी प्रोत्साहित किया जाएगा कि वो डिजीटल लेन-देन करें और ग्राहकों से भी ऐसे ही व्यापार करें। इसके लिए एक नामांकन प्रक्रिया भी करवाई जा सकती है और उन्हें कुछ सहायता भी दी जा सकती है।
जल्द ही पूरे देश में ऑनलाइन लेन-देन के लिए ऐसी कई योजनाओं और डिजीटल प्रणालियों को लाया जा सकता है। अब देखना ये है कि ऐसा करने से काले धन पर कितनी लगाम लगेगी।
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