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2015 तक हर साल 9 अरब ऐप होंगी डाउनलोड
देश में ऐप्लिकेशन (ऐप) डाउनलोड की सालाना संख्या 2015 तक नौ अरब तक पहुंच जाएगी, जो 2012 में सालाना 1.56 अरब थी। यह बात एक नए अध्ययन में कही गई है। 'डिजिटाइजेशन एंड मोबिलिटी' शीर्षक से यह अध्ययन एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) और डिलायट ने मिल कर किया है। मंगलवार को जारी अध्ययन परिणामों में कहा गया है कि ऐप डाउनलोड की संख्या इस दौरान हर साल 75 फीसदी की चक्रवृद्धि दर से बढ़ेगी।
पढ़ें: फेसबुक और ट्विटर में पोस्ट की गई फनी फोटो
अध्ययन के मुताबिक अधिकतर ऐप डाउनलोड 16 से 30 साल की उम्र के लोग करते हैं। इसके मुताबिक 2014 के आम चुनाव में 2.9 करोड़ लोगों ने फेसबुक पर 22.7 करोड़ संवाद किए। चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से लेकर मतदान के आखिरी दिन तक ट्विटर पर छह करोड़ पोस्ट डाले गए।
पढ़ें: प्रोजेक्टर वाली घड़ी जिसमें मेल भी चेक कर सकेंगे आप
ऐप स्टोरों में कई मोबाइल ऐप उपलब्ध हैं, जैसे, एप्पल के उपकरणों में आईमैसेज ऐप होता है, ब्लैकबेरी मोबाइल में ब्लैकबेरी मैसेंजर (बीबीएम) ऐप होता है और विंडो फोन में विंडोज लाइव क्लाइएंट होता है। एंड्रॉयड मोबाइल में व्हाट्सऐप और स्नैपचैट जैसे कई ऐप होते हैं। एसोचैम के महासचिव डी.एस. रावत ने कहा, "देश की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी के लिए 'मोबाइल टीवी' ऐप की दर्शक संख्या में सालाना 400 फीसदी की वृद्धि हुई है। स्मार्टफोन रखने वाले 35 फीसदी लोगों ने विडियो ऐप यूट्यूब देखा और उन्होंने इस पर प्रति माह करीब डेढ़ घंटे बिताए।
अध्ययन के मुताबिक इंटरनेट डाटा ट्रैफिक में विडियो की हिस्सेदारी जहां 2011-12 में 41 फीसदी थी, वहीं वह 2016-17 में बढ़कर 64 फीसदी हो जाएगी। देश में कहीं लेकर जा सकने योग्य उपकरणों की बढ़ती संख्या को देखते हुए टेलीविजन कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाली कंपनियां स्मार्टफोन, टैबलेट और फैबलेट जैसे पर कार्यक्रम देखने की सुविधा प्रदान कर रही हैं। अध्ययन में हालांकि कहा गया है कि भारत के लोग कीमतों को लेकर काफी संजीदा होते हैं, जिसके कारण वे बड़े आकार के खेल ऐप या बड़े दस्तावेज या ऐप डाउनलोड करने से बचते हैं। इसलिए भारतीय या विदेशी कंपनियों के लिए भारत में अपने ऐप से पैसे कमाना अपेक्षाकृत चुनौतीपूर्ण है।
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