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2023 तक डिजिटल पेमेंट एक ट्रिलियन डॉलर की इंडस्ट्री बनने के लिए है तैयार
भारत सरकार के कैशलेस ड्राइव ने देश में डिजिटल भुगतान को एक नई रफ्तार देने का काम किया है। अगर पेमेंट्स काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) की मानें तो डिजिटल पेमेंट मार्केट यानि डिजिटल भुगतान बाजार साल 2023 में एक नई ऊंचाई छूते हुए 1 ट्रिलियन डॉलर सालाना के पार पहुंच जाएगा।
2017-2018 में सीएजीआर हुई बढ़ोत्तरी
पीसीआई ने कहा कि डिजिटल पेमेंट इंडस्ट्री में पीपीआई, यूपीआई, और कार्ड जैसे पेमेंट उपकरणों के साथ लेनदेन के अलग अलग तरीकों को शामिल किया गया है, ये लेनदेन के कुछ पसंदीदा तरीके हैं। अलग-अलग डिजिटल मोड लेनदेन की सफलता के साथ, साल 2011 से 2016 तक कंपाउंड वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) 28.4 प्रतिशत रजिस्टर्ड थी, लेकिन 2017-2018 में 44.6 सीजीआर दर्ज की जा चुकी है।
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डिजिटल पेंमेंट देगी बिजनेस के अवसर
डिजिटल मनी 2.0 विकास के अगले लेवल पर चर्चा और बहस के लिए एक बेहतरीन मंच है और फाइनेंनशियल इकोसिस्टम तंत्र में उभरते ट्रेंड्स और निर्बाध अनुभव की जरुरतों को समझता है।" भारत में जिस तरह से डिजिटल पेमेंट का इस्तेमाल हो रहा है और जिस तरह से सरकार की तरफ से इसे तेज़ गति से बढ़ावा मिल रहा है, उसे देख कर तो ये सुनिश्चित किया जा सकता है कि डिजिटल पेमेंट के उपयोग करने के मामले में भारत जल्द ही दुनिया में एक नया मुकाम हासिल करेगा और इससे न सिर्फ कैशलेस ट्रांजेक्शन बढ़ेगी, साथ ही साथ समय और धन भी बचेगा।
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यूपीआई 2.O और 2018 में विश्व बैंक द्वारा पब्लिश वर्ल्ड डूइंग बिजनेस रिपोर्ट के अनुसार ease of doing business index में भारत के 100 वां रैंक हासिल करने के बाद, इसने एक रास्ता दिखाया है, जिसमें इंडस्ट्री और पॉलिसी मेकर्स को एक साथ मिलकर काम करना होगा, जिससे तेज़ी से विकास प्रक्रिया बढ़ेगी और एक नया मुकाम हासिल करेगी।
साइबर सुरक्षा के लिए उठाने होंगे कदम
डिजिटल मनी 2.0 seeing into the future सम्मेलन उद्योग के अधिकारियों और पॉलिसी मेकर्स के एक साथ आने, इंडस्ट्री की हालिया स्थितियों तक पहुंचने और उद्योग की अधिक कामयाबी की उपलब्धि के लिए नए रास्तों को तैयार करने के लिए विचार-विमर्श करने के लिए एक मंच होगा। जो न सिर्फ भारत की विकास यात्रा को तेज़ गति प्राप्त करेगा, बल्कि दुनिया भर में भारत की मजबूती स्थिति पेश करेगा। हालांकि डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के साथ साथ, साइबर सुरक्षा एक अहम चुनौती पेश करेगी, जिसके लिए भी सरकार को ठोस कदम उठाने पड़ेंगे।
आपको बताते चलें कि भारत में डिजिटल ट्रांजेक्शन का यूजर बेस 90 मिलियन का है और उम्मीद है कि साल 2020 तक इसके 3 गुना यानि 300 मिलियन होने की उम्मीद है। ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों के कुछ लोग भी अब डिजिटल ट्रांजेक्शन का इस्तेमाल करने लगे हैं।
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