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13 लाख भारतीयों के डेबिट/क्रेडिट कार्ड डिटेल चोरी, अपने अकाउंट को ऐसे करें सुरक्षित
अपना डेबिट या क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करने से पहले ज़रूर सावधानी बरतें, ऐसा हम इसीलिए कह रहे हैं क्योंकि करीब 13 लाख भारतीयों के कार्ड डिटेल्स चोरी की गई हैं। ताजा रिपोर्ट्स के मुताबिक इन डिटेल्स को चोरी कर ऑनलाइन बेचा जा रहा है। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि कैसे आप अपने कार्ड को सुरक्षित रख सकते हंी और किस तरह ये हैकर्स आपके कार्ड की डिटेल्स को हैक करते हैं।
मामला क्या है?
दरअसल, सिंगापुर की फेमस साइबर सिक्योरिटी कंपनी ग्रुप आईबी ने ये दावा किया है कि कस्टमर्स के कार्ड्स की जानकारी को करीब 100 डॉलर में बेचा जा रहा है। बता दें कि ये पूरा डेटा जोकर स्टैश पर अपलोड किया गया है, जोकर स्टैश एक डार्कनेट मार्केट प्लेस है। आसान भाषा में कहें तो इन कार्ड के डीटेल्स डार्क वेब की सबसे पुरानी कार्ड्स की दुकान है जोकर स्टैश। यहां से फ्रॉड्स पेमेंट्स कार्ड्स की डीटेल्स को खरीदते हैं और इसका इस्तेमाल आपका अकाउंट खाली करने के लिए करते हैं।
डार्क वेब क्या है?
सबसे पहले ये जानना ज़रूरी है कि ये डार्क वेब क्या है? ये इंटरनेट जगत की एक अंधेरी दुनिया है। जब भी हम कोई इंफॉर्मेशन निकालने के लिए गूगल या ब्राउज करते हैं तो हमें सैकड़ों रिजल्ट्स मिलते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये पूरे इंटरनेट का सिर्फ 4 फीसदी हिस्सा होता है।
96 फीसदी हिस्सा आपको सर्च रिजल्ट में नहीं मिलता , उसे डीप वेब कहते हैं। इसी डीप वेब का एक हिस्सा होता है डार्क वेब। जिसे सर्च इंजन के द्वारा इंडेक्स नहीं किया जाता। ये सार्वजनिक नहीं होती क्योंकि इनके IP एड्रेस को हाइड रखा जाता है। जिन इंडस्ट्रीज में डार्क वेब को ऑपरेट किया जाता है उन्हें डार्कनेट मार्केट्स कहते हैं। डीप वेब या डार्क वेब में ड्रग, मानव तस्करी, अवैध हथियारों की खरीद-फरोख्त के साथ डेबिट/क्रेडिट कार्ड जैसी संवेदनशील जानकारियां बेचने जैसे काम किए जाते हैं।
कैसे हुआ डेटा लीक?
रिपोर्टस के मुताबिक एनालिसिस से सामने आया है कि ATM और PoS सिस्टम में स्किमिंग डिवाइस इंस्टॉल किए जाते हैं, जिनसे ये डीटेल्स कलेक्ट की गई है। दरअसल, स्किमिंग वो मेथड होता है जिसके तहत फ्रॉड, किसी भी कार्डहोल्डर के पेमेंट कार्ड की डिटेल्स को चोरी करते हैं। इसके तहत ATM या PoS मशीन में एक छोटा सा डिवाइस लगा दिया जाता है जिसमें यूज़र की सारी डिटेल कलेक्ट हो जाती है।
जानकारी में ये भी सामने आया है कि वेबसाइट पर अपलोड होने वाली जानकारियों में वो डेटा भी शामिल है जो आपके पेमेंट कार्ड (डेबिट/क्रेडिट) के मैग्नेटिक स्ट्रिप पर होता है। अपलोड होने वाले डेटा में 18 फीसदी भारतीयों के डेबिट-क्रेडिट कार्ड तो भारत के एक ही बैंक के हैं।
कार्ड की कौनसी डिटेल्स लीक होती हैं?
स्किमिंग डिवाइस के मदद से आपके बैंक खाते की प्रोफाइल यानी आपका नाम, बैंक, बैंक खाता नंबर और आपके सारे लेनदेन की जानकारी लीक हो जाती है। यानि आप जब भी शॉपिंग के वक्त कार्ड स्वाइप करते हैं तो ये सारी जानकारियां उस डिवाइस में सेट हो जाती हैं।
डेटा चोरी होने पर क्या होता है?
अगर आपको लगता है कि आपको डेटा चोरी से होने से भी क्या हो जाएगा तो आपको बता दें कि इन वेबसाइट्स पर डिटेल्स अपलोड होने के बाद साइबर क्रिमिनल्स इन्हें खरीदते हैं। उसके बाद इन डिटेल्स की मदद से ये एक डुप्लीकेट कार्ड तैयार करते हैं। यानि आपके कार्ड का एक क्लोन बनाया जाता है। क्रिमिनल्स अगर इन्हें यूज़ करने में सफल हुए तो इससे वो आपका पूरा अकाउंट खाली कर सकते हैं। कुल मिलाकर कहा जाए तो 13 लाख भारतीयों को करीब 920 करोड़ रूपए एक झटके में लूटे जा सकते हैं।
पहले भी हो चुका है डेटा चोरी
ये कोई पहला मामला नहीं है, बल्कि इससे पहले 2016, 2017 और 2018 में भी इस तरह की खबरें आ चुकी हैं। साल 2016 में करीब 32 कार्ड्स की जानकारियां चोरी हुई थी। जिन बैंकों के ग्राहकों की डिटेल्स लीक हुई थी उन्होंने कस्टमर्स के दूसरे कार्ड्स जारी किए थे। इसके अलावा 2017-18 में 169 करोड़ रुपए और 2018-19 में 149 करोड़ रुपए की लूट हुई थी। 2016 Global Consumer Fraud Report के मुताबिक डेबिट-क्रेडिट कार्ड से जालसाजी के मामले में भारत दुनिया के टॉप 5 देशों में शामिल है। आपको याद होगा दो साल पहले RBI ने मैग्नेटिक स्ट्रिप की बजाए EMV बेस्ड चिप कार्ड इस्तेमाल करने के निर्देश दिए थे। सिर्फ भारत ही नहीं इस साल फरवरी में करीब 20 लाख अमेरिकी लोगों के भी कार्ड्स डिटेल्स चोरी होने का मामला सामने आया था।
कैसे बरतें सावधानी
1- ऐसे ATM का इस्तेमाल करें जहां गार्ड हो।
2- अगर किसी एटीएम में कोई संदिग्ध एक्टिविटी दिखें तो इस्तेमाल न करें।
3- अगर आपको दो बार पिन डालने के निर्देश मिलें तो एटीएम इस्तेमाल न करें।
4- हमेशा भरोसेमंद वेबसाइट से ही ऑनलाइन शॉपिंग करें।
5- वेबसाइट के लिंक में 'https' प्रोटोकॉल है या नहीं जरूर देखें।
6- किसी भी सार्वजनिक वाई-फाई का इस्तेमाल करने से बचें।
7- समय समय पर कार्ड का पासवर्ड चेंज करें।
8- अपने बैंक अकाउंट का बैलेंस चेक करते रहें।
9- PoS मशीन में कार्ड स्वैप करने से पहले उसकी जांच करें।
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