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"कंप्यूटर बाबा" की पूरी कहानी, सुनिए गिज़बॉट की जुबानी
भारत में इस वक्त लोकसभा चुनाव चल रहे हैं। 7 चरणों वाले इस लोकसभा चुनाव में से 5 चरणों का चुनाव खत्म हो चुका है। अब छठें चरण का चुनाव कल यानि 12 मई को होने वाला है। इस चरण के चुनाव में भारत के कुल 7 राज्यों के 59 लोकसभा सीटों के लिए मतदान किए जाएंगे। इन 7 राज्यों में बिहार (8 सीट), झारखंड (4 सीट) हरियाणा (10 सीट), मध्य प्रदेश (8 सीट), उत्तर प्रदेश (14 सीट), पश्चिम बंगाल (8 सीट) और दिल्ली एनसीआर (7 सीट) शामिल हैं। इस तरह से 59 लोकसभा सीटों के लिए जनता 12 मई को वोट डालने जा रही है।
हर फेज़ की तरह इस फेज़ की भी काफी चर्चा की जा रही है। छठें फेज़ की सभी 59 सीटों में से सबसे ज्यादा चर्चित सीटों में एक सीट मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल है। भोपाल सीट पर इस साल पूरे देश में काफी चर्चा की जा रही है। इस सीट में कड़ी टक्कर बीजेपी और कांग्रेस की है। बीजेपी ने अपनी सीट पर यहां साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को टिकट की है वहीं कांग्रेस ने अपने पुराने और दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह को मैदान में उतारा है।
इन दोनों पार्टी के उम्मीदवारों पर जनता के बीच में काफी चर्चाएं हो रही है लेकिन इन दोनों के अलावा एक शख़्स और भी है, जिसने भोपाल सीट के लिए काफी चर्चा बटोरी है। उस व्यक्ति का नाम नामदेव दास त्यागी है। नामदेव दास त्यागी एक बड़े ही प्रसिद्ध साधु बाबा हैं। भारत के कुछ महान और प्रसिद्ध संतों में उनका नाम भी आता है और आज हम उसी साधु बाबा के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं।
गिज़बॉट पर साधु-संत और राजनीति क्यों...?
आप सोच रहे होंगे कि हम टेक्नोलॉजी वाले प्लेटफॉर्म पर साधु-संतों और राजनीति की बात क्यों कर रहे हैं। लिहाजा, हम आपको बता दें कि मध्य प्रदेश के इस साधु को नई-नवेली टेक्नोलॉजी से काफी प्यार है। यह बाबा बाकी बाबाओं के जैसे नहीं हैं। इस बाबा को नए जमाने के आधुनिक गैजेस्ट्स से काफी प्यार है। इस वजह से इस बाबा को दुनिया नामदेव दास त्यागी नहीं बल्कि कंप्यूटर बाबा के नाम से जानती है। आप अगर गूगल में कंप्यूटर बाबा डालकर सर्च करेंगे तो आप इस बाबा के बारे में जान पाएंगे। गैजेस्ट्स से प्यार करने वाले यह कंप्यूटर बाबा आजकल राजनीति में काफी सक्रिय हैं। भोपाल और मध्यप्रदेश की राजनीति में कंप्यूटर बाबा के खूब चर्चें हो रहे हैं। इस वजह से हम आज आपको राजनीति करने वाले इस कंप्यूटर बाबा की कहानी बताते हैं।
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कंप्यूटर बाबा भारत के एक बड़े हिंदू तपस्वी हैं। इसके अलावा इस वक्त वह "मां नर्मदा", "मां क्षिप्रा" और "मां मंदाकिनी" रिवर ट्रस्ट 'के अध्यक्ष हैं, जिन्हें कांग्रेस के नेतृत्व वाली कमलनाथ सरकार ने नियुक्त किया था। वह शिवराज सिंह चौहान मंत्रालय में राज्य मंत्री भी थे। पिछले करीब एक-डेढ़ साल से बाबा राजनीति में काफी उथल-पुथल मचा चुके हैं, जिसकी वजह से वो टीवी-मीडिया समेत सोशल मीडिया में भी काफी चर्चा में हैं।
कंप्यूटर बाबा का इतिहास
कंप्यूटर बाबा का पूरा और असल नाम नामदेव दास त्यागी है। उनका जन्म सन् 1965 में हुआ था, लिहाजा इस वक्त उनकी उम्र करीब 53-54 साल है। वह मध्य प्रदेश के इंदौर शहर से हैं। ये बाबा नर्मदा नदी की सेवा करने के लिए प्रसिद्ध हैं। इस बाबा को मॉडर्न जमाने के सभी गैजेट्स जैसे मोबाइल, स्मार्टफोन, लैपटॉप, डोंगल जैसी चीजों से काफी लगाव है। इनमें से उनका सबसे पसंदीदा गैजेट लैपटॉप है और वो अपने साथ हमेशा लैपटॉप रखते हैं। संत समाज को नामदेव बाबा के गैजेट और प्रौद्योगिकी के प्रति अत्याधिक रुचि काफी दिलचस्प लगी। इस वजह से सन् 1998 में नरसिंहपुर के एक संत ने उनका नाम कंप्यूटर बाबा रख दिया है। उस वक्त से दुनिया उन्हें नामदेव दास त्यागी नहीं बल्कि कंप्यूटर बाबा के नाम से जानने लगी। आपको बता दें कि कंप्यूटर बाबा दिगंबर अखाड़ा के सदस्य भी हैं।
आपको बता दें कि कंप्यूटर बाबा संत समाज के सबसे हाईटेक बाबा है। उनके पास कई प्रकार के गैजेट्स मौजूद हैं। वो अपने साथ लैपटॉप तो हमेशा साथ रखते ही हैं, उसके अलावा उनके पास मोबाइल फोन, स्मार्टफोन और वाईफाई के लिए एक डोंगल भी हमेशा साथ रहता है। यह वाकई में एक दिलचस्प बाबा हैं जिनके बारे में आप जरूर जानना चाहेंगे।
कंप्यूटर बाबा की राजनीति
कंप्यूटर बाबा का प्रमुख काम पूजा-पाठ करना और नर्मदा नदी की सेवा करना रहा है लेकिन इसके अलावा भी वह सुर्खियां बटौरने के लिए हमेशा कुछ ना कुछ करते रहते हैं। कंप्यूटर बाबा को राजनीति से काफी लगाव रहा है। इस बारे में उन्होंने फरवरी 2014 में पहली बार खुलकर अपनी इच्छा जाहिर की थी। उस वक्त कंप्यूटर बाबा ने नई-नवेली आम आदमी पार्टी से अनुरोध किया था कि वो उन्हें 2014 के आम चुनाव के लिए मध्य प्रदेश राज्य से उम्मीदवार बनाए।
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भारत में ज्यादातर ऐसा माना जाता है कि बाबा और साधु-संत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानि आरएसएस और भारतीय जनता पार्टी के हितेशी होते हैं। इस वजह से 2014 में बाबा को आरएसएस और बीजेपी में शामिल होने का निमंत्रण भी मिला था लेकिन कंप्यूटर बाबा उनके हितेशी नहीं थे। कंप्यूटर बाबा ने आरएसएस और बीजेपी में शामिल होने के निमंत्रण को यह कहते हुए ठुकरा दिया था कि "भगवा ब्रिगेड ने केवल साधुओं का शोषण किया है और कुछ नहीं"।
2014 के बाद कंप्यूटर बाबा साल 2015 में एक बार फिर सुर्खियों में तब आए जब उन्होंने आमिर खान की लोकप्रिय फिल्म पीके का विरोध किया है। इस फिल्म का विरोध करते हुए कंप्यूटर बाबा ने पीके पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि पीके फिल्म ने हिंदू धर्म का मजाक उड़ाया है। इस विवाद की वजह से 2015 में भी कंप्यूटर बाबा ने थोड़ी बहुत सुर्खियां बटौरी थी।
शिवराज सरकार के राज्य मंत्री
उसके बाद मार्च 2018 में कंप्यूटर बाबा एक बार फिर चर्चा में आए क्योंकि मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दिन नजदीक आ रहे थे। इस वजह से कंप्यूटर बाबा ने मार्च 2018 में योगेंद्र महंत के साथ घोषणा की कि वे एक नर्मदा रथ यात्रा शुरू करेंगे, जो 1 अप्रैल से शुरू होगी और 45 दिनों तक चलेगी। कंप्यूटर बाबा ने कहा था कि यह यात्रा नर्मदा नदी के किनारे पौधे लगाने के दौरान कथित तौर पर हुए भ्रष्टाचार के विरोध में की जाएगी। इसके अलावा उन्होंने कहा कि वो जल्द ही मध्य प्रदेश के तत्कालिन शिवराज सरकार के द्वारा किए गए एक बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा भी करेंगे।
इस घोषणा के बाद मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को चिंता हुई और उन्होंने 31 मार्च 2018 को कंप्यूटर बाबा को मुख्यमंत्री कार्यालय में आने को न्यौता दिया। उस बैठक के बाद शिवराज सरकार ने कंप्यूटर बाबा को समेत 5 संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दे दिया। इस उपहार के बाद कंप्यूटर बाबा ने अपनी नर्मदा रथ यात्रा रद्द कर दी और भ्रष्टाचार का खुलासा भी नहीं किया। कंप्यूटर बाबा को राज्यमंत्री बनाने के बाद शिवराज सरकार ने एक समिति नियुक्त की गई जिसका काम नदी के किनारे "वृक्षारोपण, संरक्षण और स्वच्छता अभियान" की देखभाल करना था। शिवराज सरकार ने इस काम की पूरी जिम्मेदारी कंप्यूटर बाबा को सौंपी गई।
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हालांकि कंप्यूटर बाबा को मिला राज्यमंत्री का लॉलीपॉप उन्हें ज्यादा दिन तक रास नहीं आया। कुछ ही महीनों के बाद कंप्यूटर बाबा ने राज्य मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। कंप्यूटर बाबा ने इस्तीफी देते हुए कहा कि उन्होंने शिवराज सरकार का न्यौता इसलिए स्वीकार किया था क्योंकि उन्हें नर्मदा नदी के अवैध खनन को रोकने की जिम्मेदारी दी गई थी लेकिन शिवराज सरकार ने उन्हें वो काम करने नहीं दिया और गलत कार्यों को करने के लिए प्रेरित किया।
"राम मंदिर नहीं तो मोदी नहीं": कंप्यूटर बाबा
अब कंप्यूटर बाबा का पूरा ध्यान लोकसभा चुनाव पर है। इस बार के लोकसभा चुनाव में कंप्यूटर बाबा कांग्रेस को अपना पूरा समर्थन दे रहे हैं। कांग्रेस ने इस बार भोपाल सीट से दिग्विजय सिंह को मैदान में उतारा है और कंप्यूटर बाबा उन्हें पूरा समर्थन दे रहे हैं। कंप्यूटर बाबा ने बीजेपी की आलोचना करते हुए कहा है कि बीजेपी ने पूरे देश को ठगा है और इस बार वो भोपाल और मध्य प्रदेश से बीजेपी को हटा कर रहेंगे। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने राम मंदिर के नाम पर भी साधु-संतों के साथ धोखा किया है इसलिए इस बार संत समाज बीजेपी को वोट नहीं देगा। पीएम मोदी के खिलाफ कंप्यूटर बाबा ने एक नारा भी बुलंद किया कि, "राम मंदिर नहीं तो मोदी नहीं"। इसके अलावा उन्होंने कहा है कि पूरे संत समाज ने इस बार सोच कर रखा है कि "राम-राम ही अबकी बार, बदलकर रख दो चौकीदार"।
कांग्रेस का किया समर्थन
कंप्यूटर बाबा ने भोपाल में दिग्विजय सिंह और कांग्रेस की जीत के लिए पूरे देश से करीब 7000 संतों को वहां आकर प्रचार करने के न्यौता भी दिया था। इसके अलावा उन्होंने दिग्विजय सिंह के जीत के लिए उनसे और अनेकों संतों के साथ में एक विशाल यज्ञ भी करवाया है, जो पिछले 4-5 दिनों से काफी चर्चा में था। अब देखना दिलचस्प होगा कि कंप्यूटर और मोबाइल समेत गैजेट्स के शौकिन कंप्यूटर बाबा अपनी आधुनिक तकनीकी बाबा गिरी से राजनीति में कैसी छाप छोड़ सकते हैं।
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