Just In
- 3 min ago Youtube, UPI पेमेंट सपोर्ट के साथ Itel ने भारत में नया फीचर फोन किया लॉन्च, दाम 1800 रुपये से कम
- 12 hrs ago लाइव हुआ Free Fire MAX OB44 Update, मिलेंगे कई सारे फीचर्स और रिवॉर्ड्स
- 14 hrs ago डॉक्सिंग क्या होती है, क्या इसके लिए जेल जाना पड़ सकता है?
- 14 hrs ago Nothing ने भारत में दो नए Earbuds किए लॉन्च, जानें कीमत, उपलब्धता और स्पेक्स
Don't Miss
- Lifestyle नारियल पानी Vs नींबू पानी, गर्मियों में हाइड्रेड रहने के लिए क्या पीना है ज्यादा फायदेमंद?
- News विधानसभा चुनाव 2024: सिक्किम, अरुणाचल में 92 सीटों पर मतदान जारी
- Movies 'स्मार्ट लड़कियों की चॉइस..' बॉयफ्रेंड के साथ नजर आईं स्मृति मंधाना हुईं ट्रोल, लोगों उड़ाया मजाक!
- Education Jharkhand Board 10th Result 2024: कल आयेगा झारखंड बोर्ड 10वीं का परिणाम, कैसे चेक करें JAC Matric Result
- Finance Quarter 4 Result: Bajaj और Infosys ने जारी किया चौथे क्वार्टर का रिजल्ट, दोनों को मिला है बंपर मुनाफा
- Travel बोरिंग जिंदगी से चाहिए ब्रेक तो घूम आएं ये 6 बटरफ्लाई पार्क, जहां फूलों में रंग भरती हैं तितलियां
- Automobiles टोल प्लाजा पर अब नहीं होंगे ये बोर्ड! केंद्र सरकार ने लिया अहम फैसला, जानें डिटेल्स
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
स्मार्टफोन जैसे गैजेट्स का इस्तेमाल बच्चों के लिए बेहद खतरनाक: WHO
आजकल स्मार्टफोन, टीवी, कंप्यूटर, लैपटॉप जैसी चीजों का इस्तेमाल इतना बढ़ गया है कि अब ये सुविधाजनक की जगह खतरनाक साबित होने लगा है। दिन-प्रतिदन आधुनिक होती जा रही इस दुनिया में गैजेट्स हर इंसान की एक बड़ी जरूरत बन गया है। बच्चें हो या बूढ़े सभी को इस लत का नशा लग गया है। क्या आप जानते हैं कि बच्चों के लिए इन गैजेट्स का इस्तेमाल कितना खतरनाक है...?
इमेज क्रेडिट: Mommy Republic
इस बारे में पहले भी कई बार बात की जा चुकी है लेकिन एक बार फिर WHO विश्व स्वास्थ्य संगठन ने रिपोर्ट जारी करके कहा है कि बच्चों को स्मार्टफोन, लैपटॉप, टीवी से कितना नुकसान हो सकता है। आज के दौर में भारत समेत पूरे विश्व में मां-बाप अपने बच्चों को स्मार्टफोन जैसे गैजेट्स से यूज़ करने दे देते हैं ताकि वो कुछ देर बच्चों की परेशानी से दूर रहे।
बच्चों पर स्मार्टफोन का बुरा असर
दिल्ली में रहने वाली सीमा बताती हैं कि उनकी बेटी जिया करीब तीन साल की है। जिया स्मार्टफोन चलाने में इतना एक्सपर्ट हो गई है कि उसने फोन का पैटर्न देखकर याद कर लिया और खुद लॉक खोलकर स्मार्टफोन यूज़ करने लगती है। सीमा बताती है कि इतनी छोटी आयु में जिया का पैटर्न याद करके फोन अनलॉक करना दिखाता है कि उसका दिमाग कितना तेज है। इसे देखकर हम खुश होते हैं, हैरान होते हैं लेकिन हमारे हिसाब से यह कोई अच्छी चीज नहीं है।
सीमा ने आगे बताया कि, "शुरू में जिया ने जब स्मार्टफोन के प्रति अपना आकर्षण दिखाया तो हमने देखा कि स्मार्टफोन में कार्टून या पेंटिंग जैसी चीजें देखने के बाद वो बिल्कुल शांत हो जाती है, किसी को परेशान नहीं करती है। ऐसे में हमें जब भी कुछ काम करना होता या कभी जियो रोती थी तो उसे चुप कराने के लिए हम स्मार्टफोन देते थे और वो चुप हो जाती थी।
हमने देखा कि सिर्फ 2 साल की उम्र में जियो 3-4 घंटे स्मार्टफोन के सामने बैठी रहती है और किसी से कुछ मतलब नहीं रखती है। कुछ दिनों बाद जब तक हम जियो को स्मार्टफोन यूज़ करने नहीं देते थे तबतक वो खाना नहीं खाती थी। इससे हमें चिंता होने लगी और हमने जियो को स्मार्टफोन से दूर रखना शुरू किया। हमने अपने डॉक्टर से सलाह ली तो उन्होंने भी बताया कि स्मार्टफोन का ज्यादा इस्तेमाल से सिर्फ आंखों पर नहीं बल्कि बच्चों के मानसिक विकास पर भी असर पड़ता है। अब हम जिया को तमाम गैजेट्स से दूर रखने की कोशिश करते हैं और उसे फिज़िकल गेम्स खेलने देते हैं।
सीमा और जिया जैसा ही हाल इस वक्त देश-दुनिया के कई मां-बच्चों का है। खासतौर पर शहरी परिवेष में इस समस्या का बुरा असर हुआ है। WHO ने हाल में एक रिपोर्ट जारी करके 5 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम की गाइडलाइन्स निर्धारित की है।
WHO की गाइडलान्स
WHO ने बताया कि ज्यादा देर तक स्मार्टफोन का इस्तेमाल करना बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर सीधा असर डालता है, जिसका प्रभाव लंबे समय बाद देखने को मिलता है। WHO ने अपनी नई गाइडलाइन्स जारी करके माता-पिता और अभिभावकों को हिदायत दी है कि वो अपने बच्चों को स्मार्टफोन, टीवी, लैपटॉप जैसे डिवाइसों से दूर रखें। आइए हम आपको WHO की गाइडलाइन्स के बारे में बताते हैं।
1 साल से कम उम्र वाले बच्चों के लिए:
WHO ने कहा है कि एक साल से कम उम्र वाले बच्चों को किसी भी गैजेट्स के सामने बिल्कुल भी नहीं लाना चाहिए। इसका मतलब एक साल से कम उम्र वाले बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम जीरो है। यानि उन्हें किसी भी स्क्रीन या गैजेट्स के सामने बिल्कुल भी नहीं लाना है। WHO ने कहा कि अगर बच्चों को एक दिन में आधा घंटा पेट के बल लिटाना ज्यादा बेहतर है। दिन में आधा घंटे साफ फर्स पर बेट के बल लिटा कर खेल खिलाना बच्चों के शारीरिक विकास के लिए ज्यादा अच्छा है।
1-4 साल के बच्चों के लिए:
WHO ने 1 से दो साल तक के बच्चों के लिए दिनभर में स्क्रीन टाइम का वक्त 1 घंटा निर्धारित किया है। WHO के अनुसार एक से 2 साल तक के बच्चों को दिनभर में एक घंटा से ज्यादा स्क्रीन के सामने नहीं रखना चाहिए। इसके अलावा WHO ने दिनभर में 3 घंटे फिज़िकल एक्टिविटी करने की सलाह दी है। इसके अलावा WHO ने इस उम्र के बच्चों को कहानी सुनाने की सलाह दी है। इससे उनके मानसिक विकास में काफी फायदा होता है।
3-4 साल के उम्र के बच्चों के लिए भी WHO ने स्क्रीन टाइम की सीमा एक घंटे ही रखी है। WHO के अनुसार 4 साल तक के बच्चों को एक घंटे से ज्यादा स्क्रीन के सामने नहीं रखना चाहिए। हालांकि 3-4 साल उम्र के बच्चों को फिज़िकल एक्टिविटी ज्यादा कराना चाहिए।
बच्चों को टीवी, स्मार्टफोन के सामने बैठाना गलत
डॉक्टरों का भी कहना है कि 5 साल से कम उम्र वाले बच्चों में कॉगनिटिव स्किल का विकास नहीं हो पाता है, इस वजह से बच्चे सही या गलत में फर्क नहीं कर पाते हैं। वो जैसा देखते हैं वैसा ही करने की कोशिश करते हैं। ऐसा कई बार देखा गया है कि बच्चे टीवी पर जो एक्शन देखते हैं वैसा ही घर में करने की कोशिश करते हैं। कुछ बच्चों में आक्रमकता ज्यादा हो जाती है।
हम ऐसा अक्सर देखते हैं कि माता-पिता या अभिभावक बच्चों को शांति से खाना खिलाने के लिए टीवी के सामने बिठा देते हैं या स्मार्टफोन में कोई सॉन्ग, कार्टून या कुछ लगाकर दे देते हैं। ऐसे में बच्चों कई बार पूरा खाना खाते नहीं है या फिर कई बार ज्यादा खाना खा लेते हैं। डॉक्टरों के अनुसार ये बहुत गलत प्रैक्टिस है। इससे बच्चों को आगे चलकर नुकसान होता है।
इस उम्र में बच्चों का काल्पनिक शक्ति काफी तेज होती है। WHO ने अपने रिपॉर्ट में बच्चों को कहानियां सुनाने की सलाह दी है। पुराने जमाने में मां-बाप बच्चों को कहानियां सुनाया करते थे लेकिन आजकल मां-बाप अपनी सहूलियत के लिए बच्चों को स्मार्टफोन पकड़ा देते हैं जो काफी गलत अभ्यास है।
14-18 साल के किशोरों (teenagers) को भी नुकसान
इसके अलावा स्मार्टफोन का अधिक इस्तेमाल 14-18 साल तक के बच्चों के लिए भी काफी खतरनाक साबित होता जा रहा है। इस उम्र के बच्चों को शारीरिक से ज्यादा मानसिक स्थिति में नुकसान हो रहा है। ऐसे बच्चों आउटडोर गेम्स खेलने के बजाय घर के अंदर स्मार्टफोन या लैपटॉप पर गेम खेलना ज्यादा पसंद करते हैं।
इमेज क्रेडिट: The Hindu Business Line
स्मार्टफोन में वो क्या कर रहे हैं, किस तरह की चीजों का इस्तेमाल कर रहे हैं, इन बातों के बारे में माता-पिता को पचा नहीं होचा और किशोर अवस्था के बच्चे धीरे-धीरे गलत चीजों का शिकार होते जाते हैं। ऐसे में माता-पिता को अपने बच्चों को स्मार्टफोन या अन्य गैजेट्स का सीमित उपयोग कराना और उनके उपयोग पर नजर रखना काफी जरूरी है।
-
54,999
-
36,599
-
39,999
-
38,990
-
1,29,900
-
79,990
-
38,900
-
18,999
-
19,300
-
69,999
-
79,900
-
1,09,999
-
1,19,900
-
21,999
-
1,29,900
-
12,999
-
44,999
-
15,999
-
7,332
-
17,091
-
29,999
-
7,999
-
8,999
-
45,835
-
77,935
-
48,030
-
29,616
-
57,999
-
12,670
-
79,470