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गूगल ने आज डूडल में "फादर ऑफ द डीफ" को किया याद
क्या आपने आज गूगल का डूडल देखा...? आज गूगल ने एक बार फिर शानदार डूडल बनाया है। इस डूडल को गूगल ने एक बढ़िया एनिमेटेड डिजाइन के साथ बनाकर अपने होम पेज पर लगाया है। गूगल के आज के डूडल में 6 बच्चे दिखाई दे रहे हैं, जो अपने हाथ से अलग-अलग तरह के साइन दिखाकर कुछ बताने की कोशिश कर रहे हैं। आइए हम आपको बताते हैं कि आज के डूडल का महत्व क्या है।
चार्ल्स मिशल डुलिपि की 306वीं जयंती
दरअसल, गूगल ने आज अपने इस खास डूडल के जरिए चार्ल्स मिशल डुलिपि को श्रद्धांजलि दी है। गूगल इस डूडल के जरिए चार्ल्स मिशल डुलिपि को याद करते हुए उनकी 306वीं जयंती मना रहा है। चार्ल्स मिशल डुलिपि को बधिरों यानि बहरों का मसीहा माना जाता है। उन्होंने बधिरों यानि ना सुन पाने वाले लोगों के लिए काफी काम किया। उन्होंने बहरों लोगों के लिए बधिर शिक्षा यानि सांकेतिक शिक्षा का निर्माण किया।
बधिर शिक्षा को खोजा
आपने आजकल भी अपने आस-पास के क्षेत्रों में बहरों को सांकेतिक शिक्षा सिखते हुए या उपयोग करते हुए देखा होगा। इस शिक्षा के पीछे चार्ल्स मिशल डुलिपि का बहुत बड़ा हाथ रहा है। चार्ल्स मिशल डुलिपि का जन्म फ्रांस के वर्साइल शहर में 24 नवंबर 1712 को हुआ था। चार्ल्स ने अपना पूरा जीवन बधिर शिक्षा को बनाने और बढ़ाने में समर्पित कर दिया। उन्होंने साइन अल्फाबेट यानि इशारों से समझने वाली वर्णमाला बनाई थी। इसके लिए चार्ल्स ने हजारों बहरे बच्चों से बातचीत की, उनकी भावनाएं समझी और उसके आधार पर बधिर वर्णमाला का निर्माण किया।
"फादर ऑफ द डीफ"
उनकी वजह से फ्रांस में फंडामेंटल राइट्स लॉ यानि मूल अधिकारों के कानून में बहरों लोगों के अधिकारों को भी शामिल किया गया। चार्ल्स के इस शानदार काम के लिए उन्हें फ्रांस की संसद में एक अलग पहचान मिली। उन्हें फ्रांसिसी संसद में मानवता का हितकारी के तौर पर पहचान मिली। आपको बता दें कि चार्ल्स को बधिरों के लिए किए गए काम अपने जीवन समर्पण के लिए "फादर ऑफ द डीफ" भी कहा जाता है।
"बाल दिवस" पर गूगल ने बनाया खास डूडल
शायद चार्ल्स मिशल डुलिपि की वजह से ही आज दुनियाभर के बहरे बच्चे, युवा और बुगुर्ज अपने जीवन को बाकी लोगों के साथ मिलकर व्यतीत तक रहे हैं। गूगल ने इन्हीं कारणों की वजह से आज चार्ल्स के 306वीं जंयती पर अपने डूडल के जरिए याद किया है।
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