भारत का अंटार्कटिका स्टेशन प्रौद्योगिकी में सबसे आगे

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प्रख्यात भारतीय भूवैज्ञानिक सुदीप्ता सेनगुप्ता ने 30 वर्षो के बाद आंटार्कटिका की धरती पर स्थित भारतीय शोध केंद्र पहुंचने के बाद कहा कि संशोधित प्रौद्योगिकी ने इस बर्फीले द्वीप पर स्थित भारतीय स्टेशन को विश्व का सर्वश्रेष्ठ बना दिया है।

सुदीप्ता इससे पहले 1983 में अंटार्कटिका गई थीं। उन्होंने पृथ्वी के सुदूर दक्षिणवर्ती द्वीप पर बिताए गए समय के अपने अनुभव को जीवन का अमूल्य अवसर के रूप में व्याख्यायित किया। सुदीप्ता ने अंटार्कटिका स्थित भारतीय स्टेशन से विश्व के किसी भी हिस्से में संपर्क स्थापित कर सकने की अत्याधुनिक संचार प्रौद्योगिकी का विशेष रूप से उल्लेख किया।

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भारत का अंटार्कटिका स्टेशन प्रौद्योगिकी में सबसे आगे

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सुदीप्ता और समुद्र जीवविज्ञानी अदिती पंत अंटार्कटिका पर 3 दिसंबर, 1983 से 25 मार्च, 1984 के बीच भेजी गई तीसरे भारतीय खोजी दल का हिस्सा थीं। इस भारतीय दल द्वारा किए शोध कार्य ने इस क्षेत्र में आगे के शोध का मार्ग प्रशस्त किया। सुदीप्ता ने प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय में एक भाषण के दौरान कहा "जब पहली बार वहां गए थे, तब से और अब में वहां भारतीय स्टेशन पर प्रौद्योगिकी में जबर्दस्त बदलाव हो चुका है।

भारत का अंटार्कटिका स्टेशन प्रौद्योगिकी में सबसे आगे

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अब वहां स्थित भारतीय स्टेशन दूसरे देशों के शोध स्टेशनों की अपेक्षा कहीं आगे है। सुदीप्ता ने आगे बताया, "जब हम पहली बार वहां गए थे, तो हम शेष दुनिया से पूरी तरह कट गए थे। तब पोतों में सैटेलाइट फोन हुआ करता था और वही सैटेलाइट फोन अंटार्कटिका के स्टेशन पर स्थापित किए गए थे। लेकिन तब यह बहुत ही महंगा था और हमें महीने में सिर्फ तीन मिनट बात करने की अनुमति थी। लेकिन अब संचार कोई मुद्दा ही नहीं रह गया है। अंटार्कटिका पर गए तीसरे भारतीय खोज दल ने अंटार्कटिका पर भारत का पहला स्टेशन 'दक्षिण गंगोत्री' स्थापित किया। पहला खोजी दल 1981 में भेजा गया था।

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अंटार्कटिका पर 2012 में भारत ने अपना तीसरा अत्याधुनिक शोध स्टेशन 'भारती' स्थापित किया। अंटार्कटिका के लिए शोध सलाहकार समिति की सदस्य सेनगुप्ता 1989 में नौंवें भारतीय खोजी दल के साथ वापस आ गई थीं। अंटार्कटिका पृथ्वी की सबसे प्राचीन प्रागैतिहासिक कालीन अतिविशाल महाद्वीप का हिस्सा है, जिसे गोंडवानालैंड के नाम से जाना जाता है। इस प्रागैतिहासिक महाद्वीप गोंडवानालैंड में तब वर्तमान के दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका, अरब, मेडागास्कर, भारत और आस्ट्रेलिया संयुक्त थे।

 
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