160 साल पुरानी टेलीग्राम सेवा हुई बंद, अंतिम संदेश राहुल गांधी के नाम

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टेलीग्राम सेवा के रविवार की रात से बंद होने के साथ ही पूरे देश में लोग कम से कम एक बार टेलीग्राम के उपयोग का आनंद उठाने के लिए टेलीग्राफ कार्यालयों पर उमड़ पड़े। भारत में 163 वर्षो से संचार सेवा प्रदान कर रही टेलीग्राम सेवा को प्रौद्योगिकी में आए विकास तथा दिन प्रतिदिन इसके खत्म होते प्रचलन के कारण इसे बंद करना पड़ा। टेलीग्राम विभाग के एक सूत्र ने बताया कि रविवार को करीब 20,000 टेलीग्राम संदेश भेजे गए, जिनमें से सर्वाधिक 2,200 संदेश दिल्ली से भेजे गए, जबकि दूसरे स्थान पर केरल रहा जिसने 1,867 टेलीग्राम संदेश भेजे।

दूरदर्शन के समाचार चैनल में कार्यरत अश्विनी मिश्रा ने रविवार की देर रात करीब 11.30 बजे कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी को आखिरी टेलीग्राम संदेश भेजा। राहुल को भेजे बधाई संदेश में लिखा था, आपका जीवन खुशियों एवं सफलताओं से भरा रहे। टेलीग्राम सेवा के बंद होने के समय टेलीग्राम विभाग के देश भर के 75 कार्यालयों में 1,000 कर्मचारी थे। इन सभी कर्मचारियों को सरकार के स्वामित्व वाली भारत

संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) द्वारा चलाए जा रहे ब्रॉडबैंड, लैंडलाइन एवं सेल्यूलर प्रभागों में नियुक्त किया जाएगा। भारत में ब्रिटिश शासकों द्वारा उनकी तत्कालीन राजधानी कलकत्ता से हावड़ा के बीच संचार स्थापित करने के लिए 1850 में प्रायोगिक तौर पर टेलीग्राम सेवा स्थापित की गई। इसके बाद 1853 में पूरे देश में इस सेवा का प्रसार हुआ। 20वीं शताब्दी के शुरुआती दिनों में टेलीफोन के आ जाने के बावजूद टेलीग्राम सेवा

भारत जैसे विशाल भू-भाग वाले देश में संचार का प्रमुख साधन बना रहा। 1982-83 के दौरान देश भर में 45,000 टेलीग्राफ कार्यालय थे। उस समय प्रतिवर्ष करीब 7.52 करोड़ टेलीग्राम संदेश भेजे जाते थे, जो बीएसएनएल के आने के बाद 72,000 तक गिर गया तथा संचार की नई प्रौद्योगिकी के आगे इसकी प्रासंगिकता नहीं रह गई।

राहुल गांधी का उड़ाया उपहास

देश से 163 वर्ष पुराने टेलीग्राम सेवा की विदाई के साथ ही पुरानी स्मृतियों से जुड़े लोगों ने सोमवार को सोशल साइटों पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को अंतिम टेलीग्राम संदेश भेजे जाने के निर्णय का जमकर उपहास उड़ाया। नई दिल्ली के केंद्रीय टेलीग्राम कार्यालय (सीटीओ) से रविवार देर रात 11.45 बजे राहुल गांधी को अंतिम टेलीग्राम संदेश भेजा गया। सोशल नेटवर्किं ग साइटों पर इसे लेकर राहुल गांधी के 'पप्पू' उपनाम से उपहास करने वाली टिप्पणियों की बाढ़-सी आ गई।

फेसबुक जैसी सोशल साइटों पर लोगों ने इस तरह की टिप्पणियां कीं 1.2 अरब लोगों के बीच पप्पू को ही अंतिम टेलीग्राम संदेश मिला..एकदम बकवास और पप्पू.. इतिहास बनाने के लिए फिक्सिंग की.. अब पप्पू इतिहास की पुस्तकों के जरिए प्रसिद्ध हो जाएगा।

फेसबुक पर ही एक अन्य टिप्पणी में कहा गया है, चाचा-भतीजावादी, कांग्रेस ने फिर से कर दिखाया। अंतिम टेलीग्राम संदेश राहुल गांधी को भेजा गया। टेलीग्राम सेवा के समाप्त होने पर फेसबुक जैसी सोशल साइटों पर इसे लेकर टिप्पणियों की जैसे बाढ़ आ गई।

एक टिप्पणी में इस पर दुख व्यक्त करते हुए कहा गया है, टेलीग्राम प्रौद्योगिकी की मौत..163 वर्ष का हो गया था..ईश्वर उसकी आत्मा को शांति दें। वहीं एक अन्य टिप्पणी में इस पर व्यंग्य किया गया, टेलीग्राम.. तुम्हें याद रखेगा..कोई भी नहीं।

अंतिम संदेश राहुल गांधी के नाम

अंतिम संदेश राहुल गांधी के नाम

नई दिल्ली के केंद्रीय टेलीग्राम कार्यालय (सीटीओ) से रविवार देर रात 11.45 बजे राहुल गांधी को अंतिम टेलीग्राम संदेश भेजा गया। सोशल नेटवर्किं ग साइटों पर इसे लेकर राहुल गांधी के 'पप्पू' उपनाम से उपहास करने वाली टिप्पणियों की बाढ़-सी आ गई।

सबसे पहला टेलिग्राम संदेश

सबसे पहला टेलिग्राम संदेश

बताया जाता था कि 1850 में सबसे पहले कलकत्ता (अब कोलकाता) से डायमंड हॉर्बर तक टेलीग्राम भेजा गया था।

 रविवार को करीब 20,000 टेलीग्राम संदेश भेजे गए

रविवार को करीब 20,000 टेलीग्राम संदेश भेजे गए

टेलीग्राम विभाग के एक सूत्र ने बताया कि रविवार को करीब 20,000 टेलीग्राम संदेश भेजे गए, जिनमें से सर्वाधिक 2,200 संदेश दिल्ली से भेजे गए, जबकि दूसरे स्थान पर केरल रहा जिसने 1,867 टेलीग्राम संदेश भेजे।

दिन पर दिन घटती गई टेलिग्राम की संख्‍या

दिन पर दिन घटती गई टेलिग्राम की संख्‍या

1982-83 के दौरान देश भर में 45,000 टेलीग्राफ कार्यालय थे। उस समय प्रतिवर्ष करीब 7.52 करोड़ टेलीग्राम संदेश भेजे जाते थे, जो बीएसएनएल के आने के बाद 72,000 तक गिर गया तथा संचार की नई प्रौद्योगिकी के आगे इसकी प्रासंगिकता नहीं रह गई।

सबसे पहले कलकत्ता से हावड़ा के बीच हुआ संचार

सबसे पहले कलकत्ता से हावड़ा के बीच हुआ संचार

भारत में ब्रिटिश शासकों द्वारा उनकी तत्कालीन राजधानी कलकत्ता से हावड़ा के बीच संचार स्थापित करने के लिए 1850 में प्रायोगिक तौर पर टेलीग्राम सेवा स्थापित की गई। इसके बाद 1853 में पूरे देश में इस सेवा का प्रसार हुआ। 20वीं शताब्दी के शुरुआती दिनों में टेलीफोन के आ जाने के बावजूद टेलीग्राम सेवा भारत जैसे विशाल भू-भाग वाले देश में संचार का प्रमुख साधन बना रहा।

 
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