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स्पेक्ट्रम की कमी से फोन होता डिस्कनेक्ट
मोबाइल पर बात करते वक्त फोन का डिस्कनेक्ट होना देश में आम बात है। केरल के मुख्यमंत्री ओमन चांडी का फोन भी रविवार को डिस्कनेक्ट हो गया, जब वे यहां एक सम्मेलन को फोन से संबोधित कर रहे थे। विशेषज्ञों के मुताबिक स्पेक्ट्रम उपलब्धता की कमी और दूरसंचार टावरों की कमी के कारण इस तरह की समस्या आती है।
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भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) के सदस्य आर.के. अर्नाल्ड ने सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) द्वारा यहां आयोजित एक सम्मेलन 'मोबाइल टेलीफोनी एंड पब्लिक हेल्थ' में कहा, "फोन इसलिए डिस्कनेक्ट होता है, क्योंकि सिग्नल का स्तर कम है, क्योंकि हमने (भारत ने) तरंग उत्सर्जन के अंतर्राष्ट्रीय मानक के दसवें हिस्से को अपनाया है।"
90 फीसदी देशों ने अंतर्राष्ट्रीय मानक अपनाया है। गौर करने वाली बात यह है कि गुजरात उच्च न्यायालय ने हाल में एक फैसले में कहा था कि वायरलेस डाटा और मोबाइल कम्युनिकेशन के आधार स्टेशन से स्वास्थ्य को कोई खतरा नहीं है। उन्होंने कहा, "हमें लोगों के डर को दूर करना होगा।" सरकार इस दिशा में काम कर रही है। सीओएआई के महानिदेशक राजन एस मैथ्यूज ने कहा, "हमें दो चीजों की जरूरत है - अधिक स्पेक्ट्रम और अधिक मोबाइल टावर।"
उन्होंने बताया, "देश में 93.5 करोड़ फोन ग्राहकता हैं। टावरों की संख्या करीब पांच लाख हैं।" उन्होंने कहा कि 3जी, 4जी तथा अन्य आधुनिक प्रौद्योगिकी से संबंधित सेवा के विस्तार के लिए और अधिक टावर चाहिए।
मैथ्यूज ने कहा कि डिजिटल इंडिया और स्मार्ट शहर जैसे कार्यक्रम के लिए और अधिक दूरसंचार अवसंरचना की जरूरत होगी। 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) के लिए सरकार ने दूरसंचार और संचार में निवेश करने के लिए 8 लाख करोड़ रुपये की राशि चिह्न्ति की है।
दूरसंचार टावरों से स्वास्थ्य को होने वाले कल्पित खतरे के बारे में मैथ्यूज ने कहा, "विश्व स्वास्थ्य संगठन मोबाइल टावरों से होने वाले उत्सर्जन के खतरों की समीक्षा करता रहता है। उसकी एक रिपोर्ट 2015 के मध्य में आएगी, उससे पता चलेगा कि संगठन की क्या राय है।"
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