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अब इस तकनीक से होगी हवा से तैयार बिजली
आपको यदि कहा जाए कि आपको अब वायु से फ्री बिजली मिल सकेगी तो शायद आपको विश्वास न हो पर यह कोरी कल्पना मात्र नहीं है क्योंकि व्यवसायी व पूर्व वैज्ञानिक लॉर्ड ड्रेसन ने इसको वास्तविक धरातल पर उतार दिया है। लंदन के रॉयल इंस्टीट्यूशन में एक ऐसी ही तकनीक ‘फ्रीवोल्ट' का लॉर्ड ड्रेसन ने प्रदर्शन किया। उनका दावा है कि यह तकनीक हवा में मौजूद तरंगों के प्रयोग करके बहुत कम ऊर्जा से चलने वाले सेंसरों को बिजली उपलब्ध करा सकती है।
जानें सेल्फी और फोटोग्राफ के बीच का अंतर
ड्रेसन की माने तो यह तकनीक हवा में 4जी और डिजिटल टी.वी. की रेडियो तरंगों की ऊर्जा का उपयोग करती है। यह विश्व की प्रथम तकनीक है जिसको कोई भी अतिरिक्त ऊर्जा की जरूरत नहीं पड़ती। चूंकि यह तकनीक ऊर्जा के उन स्रोतो का उपयोग करती है जोकि इस्तेमाल से बची रह जाती है। लॉर्ड ड्रेसन की माने तो यह विश्व की पहली ऐसी तकनीक है, "इसके लिए किसी अतिरिक्त बुनियादी ढांचे की जरूरत नहीं है, ना ही इसके लिए अतिरिक्त ऊर्जा प्रसारित करने की जरूरत होती है, यह ऐसी ऊर्जा को रिसाइकिल करता है जो इस्तेमाल से बची रह जाती है।"
फ्रीवोल्ट ड्रेसन में लॉर्ड ड्रेसन द्वारा पहले दिखाया कि कमरे में कितनी रेडियो फ्रीक्वेंसी है। इसके बाद उन्होंने एक लाउडस्पीकर को चलाने के लिए फ्रीवोल्ट का उपयोग किया। उनके द्वारा पर्सनल पॉल्यूशन मॉनिटर क्लीनस्पेस टैग की जरूरत भर की बिजली उत्पन्न करने का प्रदर्शन किया गया। यह पॉल्यूशन मॉनिटर ड्रेसन टेक्नोलॉजीज द्वारा एक अभियान के तहत बनाया गया है ताकि शहरों में वायु गुणवत्ता को सुधारा जा सके और लोगों को प्रदूषण के स्तर के बारे में जानकारी दी जा सके। इस उपकरण में एक बैटरी होती है जो फ्रीवोल्ट से रिचार्ज होती रहती है। इस तकनीक का पेटेंट करवाकर सुपरमार्केट आदि स्थानों पर उपयोग किया जा सकता है जहां पर अगले चरण की इंटरनेट सुविधाओं की तैयारी की जा रही है।
फ्लिपकार्ट को लगा दिया 20 लाख का चूना
परंतु तकनीकी विशेषज्ञ डीन बब्ले फ्रीवोल्ट (संस्थापक, डिसरप्टिव एनॉलीसिस) की माने तो वायु प्रदूषण सेंसर का विचार दिलचस्प है पर इसके लिए फ्रीवोल्ट की क्या जरूरत है? इसी काम को एक बैटरी व बहुत कम ऊर्जा वाले ट्रांसमीटर से भी किया जा सकता है। साथ ही मोबाइल के स्पेक्ट्रम को फ्रीवोल्ट उपयोग कर रहा है। शायद ये ‘ फ्री एनर्जी' संचार के लिए जरूरी हो। लॉर्ड ड्रेसन का कहना है कि इसके लिए मोबाइल नेटवर्क फीस मांग सकते हैं। साथ ही उन्होंने यह भी भरोसा जताया कि इसका कोई कानूनी आधार नहीं है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ऐसे प्रयास पहले भी हो चुके हैं जोकि व्यावसायिक रूप से सफल नहीं रहे पर यदि यह सफल रहता है तो बहुत बेहतरीन व्यवसाय बन सकता है।
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