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लखनऊ पुलिस जीपीएस से पकड़ेगी चोर उचक्कों
राजधानी लखनऊ में तेजी से बढ़ रही लूट, हत्या, दुष्कर्म व चोरी की वारदातों पर अंकुश लगाने के लिए प्रदेश सरकार उच्च तकनीक के उपकरणों का इस्तेमाल करने जा रही है। इसके लिए लखनऊ स्थित रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर सरकार को एक प्रस्ताव भेजेगी। इस प्रस्ताव में अपराध नियंत्रण के लिए ज्योग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम 'जीआईएस' और ग्लोबल पॉजिशनिंग सिस्टम 'जीपीएस' का इस्तेमाल करना अहम होगा।
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सेंटर के चेयरमैन डॉ. कुलदीप उज्जवल ने बताया कि हाल ही में सेंटर की सात सदस्यीय टीम अहमदाबाद स्थित स्पेस एप्लीकेशन सेंटर से इस तकनीक की जानकारी लेकर आई है। जीआईएस-जीपीएस के जरिए उन इलाकों की पहचान की जा सकती है, जहां अपराध हो रहे हैं। इसके जरिए मैपिंग कर यह भी पता लगाया जा सकता है कि किस इलाके में किस प्रकार का अपराध सबसे ज्यादा है।
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आंकड़ा प्राप्त कर यह भी पता किया जा सकता है कौन सा अपराध किस समय सबसे ज्यादा किया जाता है। यह जानकारी प्राप्त कर मौके पर पुलिस पेट्रोलिंग टीम तैनात की जा सकती है, जिससे न सिर्फ अपराधांे पर अंकुश लगेगा, बल्कि अपराधी भी आसानी से दबोचे जा सकेंगे। रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर के निदेशक डॉ. देवेंद्र मिश्र ने बताया कि सामान्य तौर पर अपराध संबंधी आंकड़े पुलिस के पास उपलब्ध होते हैं, लेकिन वह सेंट्रलाइज्ड नहीं है।
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उन्होंने बताया आदतन या पेरोल पर छूटने वाले अपराधियों का पूरा रिकॉर्ड जीआईएस-जीपीएस तकनीकी से जाना जा सकता है। इस तकनीकी से डिसिजन मेकिंग अथॉरिटी एक क्लिक पर ही अपराध और अपराधियों का पूरा इतिहास जान सकती है। इससे आसानी से अपराधियों पर शिकंजा कसा जा सकता है। डॉ. मिश्र ने बताया कि डिजिटल मैप के जरिए दूर बैठकर भी अपराध की पूरी जानकारी जुटाई जा सकती है। इससे अपराध होने से पहले और बाद की भी पूरी स्थिति का पता किया जा सकता है यह आधुनिक तकनीक है, जिससे अपराधी बच नहीं सकता। उसे जल्द दबोचा जा सकता है।
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