स्मार्टफोन का जीपीएस सिस्टम अब होगा पहले से ज्यादा स्मार्ट

By GizBot Bureau
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न्यूज़ीलैंड के ओटागो विश्वविद्यालय के सहयोग से ऑस्ट्रेलिया के कर्टिन विश्वविद्यालय ने जीपीएस की एक्यूरेसी यानि सटीकता में सुधार किया है, और इसे बेहतर बनाने में कामयाब रहे हैं। आपने देखा होगा कि आपके स्मार्टफोन का जीपीएस बिल्कुल सटीक नहीं होता है। खैर, अब यह सिस्टम बदलने वाला है। अब जीपीएस सिस्टम में बड़े बदलाव होने वाले हैं, जिससे आप रास्ते मे भटकेंगे नहीं, बल्कि सही समय में सटीक जगह पहुंच जाएंगे।

 
स्मार्टफोन का जीपीएस सिस्टम अब होगा पहले से ज्यादा स्मार्ट

अमूमन, हम जीपीएस का इस्तेमाल कर सही जगह पहुंच जाते है, लेकिन कई बार तो ऐसा होता है कि हमारा जीपीएस लोकेशन के आस पास हमें घुमाता रहता है, लेकिन फिर भी नहीं पहुंच पाते और एक बार फिर से इसका श्रेय टेक्नोलॉजी को जाता है। टेक्नोलॉजी ने न सिर्फ आम जन जीवन मे तेजी लाने का काम किया है, बल्कि इसका सही इस्तेमाल कर कुछ भी करना संभव सा लगता है।

 

ऐसे मिलेगी सटीक जानकारी

चार अलग-अलग ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस),के सिग्नल को एक साथ लाकर ओटागो के डॉ रॉबर्ट ओडोलिंस्की और कर्टिन यूनिवर्सिटी के सहयोगी प्रोफेसर पीटर ट्यूनिसन ने दिखाया है कि कैसे एक स्मार्टफोन पर सटीक पोजिशनिंग (सेमी) प्राप्त कर सकते हैं।

यूनिवर्सिटी ऑफ ओटागो के डॉ. रॉबर्ट ओडोलिन्सकी ने कहा कि यह गणित का कमाल है, जिसे हमने लागू किया है, जो कि एक कम लागत वाली तकनीक है, जिससे स्मार्टफोन का प्रयोग जीएनएसएस संकेतों को प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है।'

उनका मानना है कि नवीनतम तकनीक को समझने के लिए, ऐतिहासिक वैज्ञानिक संदर्भ पर एक नजर डालने की आवश्यकता है। इतिहास से बहुत कुछ सीखा जा सकता है और तकनीक में अपडेट के लिए इतिहास बहुत कारगर साबित हो सकता है।

अब एक फ्रिक्वेंसी पर होगा काम

डॉ ओडोलिंस्की कहते हैं कि हम लोग निर्माण, इंजीनियरिंग, कैडस्ट्रल सर्वेक्षण और भूकंप की सेटीमीटर लेवल की जानकारी रखने के लिए जीपीएस यानि ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम पर निर्भर रहते हैं, लेकिन ऐसे में चुनौती यह आती है कि हमें एकदम सटीक जानकारी नहीं मिल पाती क्योंकि जीपीएस सैटेलाइट सिस्टम पर काम करता है , इन सैटेलाइट द्वारा भेजे गए संदेशों को रिसीव करता है और यूज़र को जानकारी देता है। धरती पर संदेशों को रिसीव करने वाले रिसीवर या एंटेना काफी महंगे होते हैं जो आम आदमी की पहुंच से काफी दूर होते हैं। इसलिए मॉडर्न टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर इसे इतना आसान और सहज बनाया गया है कि आम आदमी भी आसानी से इस्तेमाल कर सकते हैं।

नए तरीके के मुताबिक दो में से केवल एक ही फ्रिक्वेंसी पर काम किया जाता है, जबकि ज्यादा आंकड़े सेटेलाइट की मदद से इकट्ठा किए जाते हैं। जिसे 'मल्टी-कंस्टेलेशन' जीएनएसएस सोल्यूशन नाम दिया गया है। इसमें अतिरिक्त डेटा के साथ गणित के चतुराईपूर्ण इस्तेमाल से लागत में बढ़ोतरी किए बिना पोजिशंस में सुधार किया जा सकता है। वहीं, स्मार्टफोन के लिए भी तकनीक का इस्तेमाल किया जा सकता है।

 
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English summary
With the cooperation of New Zealand's Otago University, the University of Curitin of Australia has improved the accuracy of GPS, and has managed to improve it. You might have noticed that the GPS of your smartphone is not exactly accurate. Well, now this system is going to change.

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