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भारतीय मूल के साइंटिस्ट ने बनाया दुनिया का पहला पानी से चलने वाला कंप्यूटर
मनु प्रकाश वहीं भारतीय मूल के साइंटिस्ट है जिन्होंने पिछले साल पेपर माइक्रोस्क्रोप बना कर सबको हैरान कर दिया था। इस बार इन्होंने इससे भी बड़ा कारनामा कर दिखाया है। मनु प्रकाश ने दुनिया का पहला ऐसा पीसी बनाया है जो पानी से चलता है। इस काम में उनके दो स्टूडेंट्स ने भी मद्द की है। मनु शर्मा भारत में मेरठ शहर के रहने वाले हैं।
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मनु प्रकाश ने अपने नए यंत्र को 'द ड्रॉपलेट कंप्यूटर' नाम दिया है। यह कंप्यूटर सैद्धांतिक तौर पर वे सारी प्रक्रियाएं पूरी करने में सक्षम है जो कोई इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर कर सकता है। ड्रॉपलेट कंप्यूटर के लिए प्रकाश ने शीशे की सतह पर लोहे की सलाखों की भूलभुलैया जैसी एक सारणी बनाई। फिर इसके ऊपर एक शीशा लगा दिया। दोनों शीशों के बीच हवा के अंतराल को तेल से भर दिया। इसके बाद बड़ी सावधानी से सारणी में पानी की बूंदें डालीं। इस क्रम में उन्होंने जल बूंदों में सूक्ष्म चुंबकीय कण मिला दिए। फिर इस व्यवस्था को तांबे की कुंडली द्वारा निर्मित एक चुंबकीय क्षेत्र में रखा।
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वैज्ञानिक सिद्धांत के अनुसार, किसी भी विद्युत सुचालक के ईद गिर्द एक चुंबकीय क्षेत्र होता है। यह क्षेत्र विद्युत की मात्रा और दिशा द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है। एक और सिद्धांत यह है कि चुंबक के विपरीत धु्रव एक दूसरे को आकर्षित करते हैं जबकि समान ध्रुव विकर्षित।
इस कंप्यूटर में मौजूद जल बूंदें चुंबकीय हैं अर्थात इनके उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव हैं। लोहे के सलाखों की सारणी तांबे की कुंडली में विद्युत के कारण चुंबकीय बन जाती है। इस तरह इस कंप्यूटर में दो चुंबकीय अवयव हो गए। पहला, लोहे के सलाखों की सारणी और दूसरा, जल बूंदें।
प्रकाश ने इन सिद्धांतों का उपयोग कर चुंबकीय कणयुक्त जल बूंदों को नियंत्रित किया। चुंबकीय क्षेत्र द्वारा नियंत्रित होने के कारण जल बूंदें घूमने लगीं। हर बार चुंबकीय क्षेत्र बदलने पर लोहे की सलाखों के ध्रुव बदल गए जिन्होंने जल बूंदों को गतिमान बनाए रखा। प्रकाश ने जल बूंदों की मौजूदगी को 1 और अनुपस्थिति को 0 के रूप में संकेतित किया। इस तरह उनकी कंप्यूटर घड़ी बनाई जो दरअसल 1 और 0 का निरंतर क्रम होती है। यह घड़ी जल बूंदों से चलती है इसलिए यह कंप्यूटर भी जल बूंदों से चलता है।
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