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आज आधार कार्ड पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। काफी समय से आधार पर चली आ रही बहज पर आज कुछ हद तक विराम लग गया है। सुप्रीम कोर्ट ने आधार के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उसकी संवैधानिक वैधता को बरकार रखा है। आपको बता दें कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में पांच जजों की पीठ ने आज इस बड़े फैसले को अंजाम दिया है। इस पीठ में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण शामिल थे।
इन सभी की सहमति के बाद बहुमत से फैसला आधार के पक्ष में रहा। हालांकि जस्टिस चंद्रचूड़ का मत बाकी जजों से अलग था। उनका कहना था कि "आधार निजता के अधिकार उल्लंघन है, क्योंकि इसके जरिए लोगों और वोटरों की प्रोफाइलिंग की जा सकती है."
सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया...?
अब आपको बताते है कि आखिरकार आधार कार्ड पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तों को लागू करते हुए आधार कार्ड की संवैधानिक वैधता को बरकार रखा है। कोर्ट ने शर्तों में कहा कि CBSE, NEET, UGC और स्कूल एडमिशन के लिए आधार कार्ड जरूरी नहीं होगा। वहीं इसके साथ-साथ नया सिम कार्ड खरीदने, अपने मोबाइल नंबर को आधार से लिंक करवाने और बैंक अकाउंट संबंधी किसी काम में भी आधार कार्ड जरूरी नहीं होगा। इसके अलावा कोर्ट ने आधार एक्ट की धारा 57 को रद्द कर दिया है। अब किसी भी प्राइवेट कंपनी में आधार कार्ड की कोई अनिवार्यता नहीं होगा। यानि कि किसी भी प्राइवेट कंपनी में आधार कार्ड देना जरूरी नहीं होगा।
कहां-कहां अभी भी जरूरी होगा आधार
हालांकि कुछ चीजों में सरकार ने आधार कार्ड की अनिवार्यता को बरकरार रखा है। इनमें सबसे महत्वपूर्ण पेन कार्ड है। पेन कार्ड से आधार कार्ड को लिंक कराना अभी भी अनिवार्य ही होगा। इसके अलावा आयकर विभाग के लिए भी आधार कार्ड जरूरी होगा। इसके अलावा सरकार की किसी भी लाभकारी योजना और सब्सिडी के लिए भी आधार कार्ड जरूरी होगा।
आधार पर हमला संविधान के खिलाफ: सुप्रीम कोर्ट
पिछले कई महीनों से चली आ रही बहस पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से जस्टिस सीकरी ने इस फैसले के सुनाते हुए कहा कि, "आधार पर हमला संविधान के खिलाफ है." उन्होंने आगे कहा कि,"यह जरूरी नहीं है कि हर चीज बेस्ट ही हो लेकिन कुछ अलग भी होना चाहिए। आधार कार्ड ने गरीबों को अपनी मजबूत पहचान और ताकत दी है और इसमें डुप्लीकेसी की संभावना नहीं है। उन्होंने कहा कि आधार कार्ड पर हमला करना लोगों के अधिकारों पर हमला करने जैसा है।
उच्चतम न्यायालय ने अपने इस आधार फैसले को सुनाते हुए आगे कहा कि, आधार नामांकन के लिए यूआइडीएआई द्वारा नागरिकों के न्यूनतम जनसांख्यिकीय (जनसंख्या संबंधी) और बॉयोमीट्रिक डेटा एकत्र किए जाते हैं। किसी व्यक्ति को दिया गया आधार संख्या अनन्य है और किसी अन्य व्यक्ति के पास नहीं जा सकता।'
सरकार को सुप्रीम कोर्ट की हिदायत
हालांकि कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को कहा कि, "जितनी जल्दी हो सके मजबूत डेटा संरक्षण कानून लागू करें." कोर्ट ने कहा कि सरकार ने आधार कार्ड के लिए कोई तैयारी नहीं की थी। कोर्ट ने केंद्र सरकार को हिदायत देते हुए कहा कि, कोर्ट की इजाजत के बिना सरकार बायॉमीट्रिक डेटा को राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर किसी और एजेंसी से शेयर नहीं करेगी। इसके अलावा कोर्ट ने सरकार को ये भी कहा कि, सरकार को सुनिश्चित करना होगा कि अवैध प्रवासियों को आधार कार्ड ना मिलें। कोर्ट ने ये भी कहा कि आधार एक्ट में ऐसा कुछ भी नहीं है, जिससे किसी की निजता पर सवाल खड़ा हो सके।
मेरी राय क्या है...?
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से निश्चित तौर पर देश के कई नागरिकों को राहत पहुंचेगी। खासतौर पर देश के स्टूडेंट जिन्हें एडमिशन के लिए परेशान किया जाता है। उन्हें एडमिशन तक बिना आधार कार्ड के नहीं मिल पाता था, अब ऐसा नहीं होगा क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के अादेशानुसार CBSE, NEET, UGC और स्कूल एडमिशन के लिए आधार कार्ड जरूरी नहीं होगा। इसके अलावा मोबाइल नंबर को आधार से लिंक कराना, वहीं सिम कार्ड खरीदने के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता भी अब खत्म कर दी गई है।
वहीं बैंक में कोर्ट ने आधार को अनिवार्य नहीं किया है लेकिन पेन कार्ड से आधार को लिंक कराना जरूरी बताया है। ऐसे में अब बैंक संबंधी किसी भी काम के लिए पेन कार्ड तो जरूरी है ही और पेन कार्ड के लिए आधार अभी भी जरूरी है। इसका मतलब आपको पेन कार्ड के लिए आधार कार्ड रखना तो अनिवार्य है ही और पेन कार्ड की जरूरत तो आजकल कई छोटे-बड़े कामों में पड़ती है। कुल मिलाकर हर नागरिक को हर हाल में आधार कार्ड तो रखना ही पड़ेगा।
बहराल, सवाल अभी भी उठेंगे कि क्या इस फैसले के बाद आधार कार्ड धारकों की निजता पर कोई खतरा नहीं है...? या सरकार कोर्ट के आदेश के बाद ऐसा कोई कानून लाएगी, जिससे आधार की जानकारी को हर हाल में सुरक्षित रखा जा सकें।