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भारत में बैन होगी VPN सर्विस, जानें पूरी खबर!
वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क यानि वीपीएन (VPN) का इस्तेमाल अलग-अलग लोग अलग-अलग उद्देश्यों के लिए करते हैं। ऐसे कई लोग हैं जो इसका उपयोग भारत में उपलब्ध नहीं होने कंटेन्ट को स्ट्रीम करने के लिए करते हैं, साथ ही ऐसे अवैध चीज़ों का इस्तेमाल करने के लिए भी करते है जो भारत में बैन है। Virtual Private Networks के माध्यम से यूजर्स इंटरनेट को गुमनाम करके कुछ भी एक्सेस कर देता है जो किसी देश में उपलब्ध नहीं है वो भी। और VPN में लोकेशन भी बदल जाता है।
लेकिन अब उन लोगों के लिए बुरी खबर है जो भारत में VPN का इस्तेमाल करते है, क्योंकि गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति ने सरकार से भारत में वीपीएन के उपयोग को बैन करने का अनुरोध किया है।
भारत में बैन हो सकती है VPN सर्विस
गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति ने सरकार से भारत में वीपीएन के उपयोग को बैन करने का अनुरोध किया है। हालांकि अभी तक यह बात सामने नहीं आयी है कि इसे भारत में कब बैन किया जाएगा।
हर तकनीक का इस्तेमाल अच्छे और गलत दोनों उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है। हालांकि यह कहना उचित है कि वीपीएन यूजर्स को गुमनाम रहने में मदद करता है। हालांकि इसे बैन करना सही भी है और नहीं भी। क्योंकि ऐसे कई लोग हैं जो वीपीएन का उपयोग तब करते हैं जब वे अपने डिवाइस को हैक होने से बचाने के लिए पब्लिक नेटवर्क या सर्वर से जुड़े होते हैं। लेकिन इसके गलत उपयोग भी है, जहाँ पिछले साल भारत सरकार ने चीनी ऐप्स को बैन किया था लेकिन लोग VPN से एक्सेस कर देते है और साथ भारत में पॉर्न वेबसाइट्स भी बैन है लेकिन लोग वीपीएन से एक्सेस कर देते हैं।
वीपीएन प्राइवेसी बनाए रखने में भी सहायक होते हैं क्योंकि नियमित रूप से जानकारी एकत्र करने वाले ऐप्स और वेबसाइट सटीक डेटा प्राप्त करने में सक्षम नहीं होते हैं। इसके अलावा, वीपीएन का उपयोग व्यवसायों द्वारा यह सुनिश्चित करने के लिए भी किया जाता है कि उनका डेटा हमेशा सिक्योर रहे, और इसीलिए एंटरप्राइजेस के सर्वर का स्थान बदलते रहते हैं।
अपराधियों को गुमनाम रहने में मदद करता है VPN
मीडियानामा की एक रिपोर्ट के अनुसार, कमिटी ने गृह मंत्रालय से उन यूजर्स की पहचान करने की क्षमता को मजबूत करने को कहा है जो वीपीएन की मदद से छिपे हुए हैं और डार्क वेब पर हैं।
कमिटी चाहती है कि सरकार अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के सहयोग से 'coordination mechanism' की मदद से भारत में वीपीएन के उपयोग को रोकें। साथ ही कमिटी यह भी चाहती है कि गृह मंत्रालय भारत में उपलब्ध सभी वीपीएन की पहचान करने और इंटरनेट सेवा प्रोवाइडर्स (IPS) की मदद से उन्हें पूरी तरह से ब्लॉक करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के साथ हाथ मिलाए।
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