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इमरजेंसी नंबर के बारे में यहां जान लें सबकुछ
हम सभी लोगों को आम जन-जीवन व्यतीत करने में आपातकालिन सेवाओं की जरूरत कभी भी पड़ सकती है। ऐसे में हमे आपात स्थिति में सहायता मांगने के लिए आपातकालिन नंबर को याद रखना पड़ता है, ताकि विशेष परिस्थिति में हम एक कॉल पर मदद के लिए किसी को बुला सके।
भारत जैसे बड़े देश में इस आपातकालिन सेवाओं की जरूरत तो कहीं ज्यादा है। हमारे देश भारत में आपातकालिन सेवाओं के लिए जो नंबर मौजूद हैं उनके बारे में तो आप जानते ही होंगे।
क्या आपको अलग-अलग आपात स्थितियों में अलग-अलग आपातकालिन नंबरों के बारे में जानकारी है ? नीचे लिखे आपातकालिन नंबरों में कितने नंबर आपको याद हैं...?
भारत में मौजूदा आपातकालीन नंबर हैं:
1) 100 - पुलिस
2) 102 - एम्बुलेंस
3) 101 - फायर
4) 104 - रक्त की आवश्यकता
5) 1363 - पर्यटक हेल्पलाइन
6) 108 - आपदा प्रबंधन
7) 181 - महिला हेल्पलाइन
8) 1906 - गैस रिसाव
9) 1097 - एड्स हेल्पलाइन
10) 1098 - बाल दुरुपयोग हेल्पलाइन
11) +919540161344 - एयर एम्बुलेंस
सामान्यत: इतने सारे आपातकालिन नंबरों को याद रखना काफी मुश्किल होता है और आपातकालिन परिस्थति के वक्त इसे ढूंढने में काफी वक्त बर्बाद हो जाता है। कल्पना कीजिए कि अगर इन सभी नंबरों की जगह मात्र एक आपातकालिन नंबर हो जिसके जरिए आपको सभी आपात स्थिति में मदद मिल सके, तो कैसा होगा।
आपको बता दें कि यूरोप के कई देशों समेत अमेरिका में भी ऐसा ही सिस्टम लागू है। यूरोप के कई देशों में आपातकालिन का मात्र एक नंबर 112 है और वहीं अमेरिका में 911 है।
भारत सरकार ने भी ऐसा ही कुछ बदलाव करने की पहल की है। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने अप्रैल 2015 में दूरसंचार विभाग को एक सुझाव दिया था कि भारत में भी एक ही नेशनल इमरजेंसी नंबर "112" होना चाहिए और इसमे एसएमएस, कॉल जैसी सुविधाएं मुफ्त होनी चाहिए।
इस सुझाव के बाद भारतीय तत्कालिन दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने 112 नंबर को ट्रायल के तौर पर लागू करने की मंजूरी दे दी थी और जनवरी 2017 से यह प्रभावी भी रहा। फिलहाल इसे कुछ कारणों की वजह से होल्ड पर रखा गया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इसमे कई रिक्त कॉल्स आती है और इससे समस्या बढ़ सकती है। खासतौर पर पुलिस हेल्पलाइन में काफी चुनौती है क्योंकि पुलिस राज्य स्तर का विषय है और इसे राष्ट्रीय इमरजेंसी नंबर से ही कंट्रोल करना एक बड़ी चुनौती होगी। इसके लिए पहले एक विशेष ढांचा तैयार करना होगा।
आपको बता दें कि नई योजना के अनुसार आपातकालीन संपर्क सेवाओं की सुविधा कॉल सेंटर के माध्यम से दी जाएगी। आपातकालीन संपर्क सेवाओं के लिए हर जगह मौजूद कॉल सेंटर में हिन्दी, अंग्रेजी और स्थानीय भाषा का इस्तेमाल किया जाएगा।
TRAI ने अपने सुझाव में कहा था कि, "आपातकालीन परिस्थितियों में हर एक मिनट कीमती होता फिर चाहे वो चोरी, डकैती, आग, बलात्कार, किसी नागरिक को दिल का दौरा पड़ने या कोई भी स्थिति क्यों ना हो। ऐसे में पीड़ित का समय आपातकालिन नंबर ढूंढने में बर्बाद नहीं होना चाहिए"।
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