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क्या हम अगली लोकसभा चुनाव में घर बैठे ऑनलाइन वोटिंग कर पाएंगे...?
भारत में इस वक्त लोकतंत्र का महापर्व मनाया जा रहा है। 17वीं लोकसभा चुनाव अब अपने अंतिम चरण में पहुंच चुका है। हमारे देश में हर पांच साल में लोकसभा चुनाव आयोजित किया जाता है। इस चुनाव में जनता अपने-अपने क्षेत्र के लिए सांसद का चुनाव करती है जो अगले पांच साल तक संसद भवन में उनका प्रतिनिधित्व करते हैं।
यह चुनाव वाकई में हर नागरिक के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। ऐसे में हर नागरिक के लिए अपने अनुसार अपना पसंदीदा सांसद चुनना भी काफी जरूरी है। नागरिकों को अपना सांसद चुनने के लिए मत अधिकार यानि वोट देना काफी जरूरी है।
वोट डालकर ही जनता अपना सांसद या अपना कोई भी प्रतिनिधी चुन सकती है। आपने आजकल टीवी, रेडियो, अखबारों पर काफी मतदान के महत्व के बारे में सुना होगा। बड़े-बड़े नेता से लेकर अभिनेता और सुपरस्टार भी लोगों को वोट डालने के लिए प्रेरित करते हैं। सभी लोगों को वोट का महत्व समझा कर उन्हें अपना वोट डालने के लिए जागरूक करते हैं।
वोटिंग प्रतिशत कम होने के क्या कारण हैं...?
इनते जागरुकता अभियान के बाद भी हमारे देश में वोटिंग प्रतिशत काफी कम रहता है। इस बार भी वोटिंग प्रतिशत काफी कम रही है। ऐसे में आखिर ऐसा क्या कारण है कि लोग वोट नहीं डालते है या नहीं डाल पाते हैं। इस बात को समझना काफी जरुरी है। हमारे देश में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो जानबूझ कर वोट नहीं डालते और वोटिंग के दिन वो अपने घर-परिवार के साथ छुट्टी मनाना पसंद करते हैं।
हालांकि मतदान कम होने का सिर्फ यही एक कारण नहीं है। इसके अलावा भी कुछ बड़े और ध्यान देने योग्य कारण हैं, जिनकी वजह काफी सारे लोग वोट नहीं डाल पाते हैं। वोट ना डालने के कारणों में से एक सबसे बड़ा कारण लोगों को अपनी जगह से दूर रहना है। हमारे देश में बहुत सारे लोग ऐसे हैं जो चाह कर भी वोट नहीं डाल पाते हैं क्योंकि वो अपने मतदान क्षेत्र से काफी दूर रहते हैं।
भारत के हर राज्यों में रोजगार की अच्छी और मजबूत व्यवस्था नहीं है। ऐसे में लोग अपना घर-परिवार चलाने और पैसे कमाने के लिए घर से हजारों किमी. दूर दूसरे शहर में रहते हैं। इसकी वजह से मतदान के वक्त वो अपने क्षेत्र में जाकर मतदान नहीं कर पाते हैं। कम पैसे कमाने वाले परिवार के लिए हजारों किमी. की यात्रा करके और हजारों रुपए खर्च करके वोट करने जाना संभव नहीं हो पाता है।
इनके अलावा कुछ मध्यम वर्गीय परिवार भी होते हैं जो अपने बजट में पैसे खर्च करके यात्रा का खर्च तो उठा सकते हैं लेकिन उनके ऑफिस से जाने-आने के लिए 4-5 दिन की छुट्टी लेना संभव नहीं हो पाता। ऐसे में मीडिल क्लास और लो मीडिल क्लास के लोग चाहते हुए भी वोट नहीं कर पाते हैं।
मध्यम वर्गीय मतदाताओं की परेशानी
भोपाल के रहने वाले विशाल बेंगलुरू में रहते हैं और एक प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं। उनका कहना है कि वो हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में वोट डालने के लिए अपने घर गए थे। फ्लाइट से घर जाकर वोट डालकर आने में उन्हें करीब-करीब 10,000 रुपए खर्च करने पड़े थे। अब वह दोबारा 10,000 रुपए खर्च करके तुरंत अपने घर जाकर वोट डालने में सक्षम नहीं है।
फोटो क्रेडिट: India Today
अगर वो ट्रेन से जाने की सोचें तो एक तो उन्हें ट्रेन टिकट नहीं मिलेगी और कम से कम 7 दिन की छुट्टी लेनी पड़ेगी, जोकि एक अलग समस्या है। इसके साथ-साथ 7 दिन की छुट्टी लेने पर उनकी मासिक सैलेरी भी काटी जाएगी। इन कारणों की वजह से विशाल की आर्थिक परिस्थिति चाहते हुए भी उन्हें वोट डालने नहीं दे रहे हैं। हमारे देश में विशाल की तरह ही काफी सारे लोग हैं, जो वोट नहीं डाल पाते हैं।
इसके अलावा भी कुछ ऐसे वर्ग के लोग हैं, जो किसी ना किसी कारणों की वजह से वोट नहीं डाल पाते हैं। इनमें हमारी सेना के जवान भी शामिल होते हैं। सेना के जवान अपनी ड्यूटी पर तैनात होते हैं, और वो समय पर वोट डालने अपने क्षेत्रिय पोलिंग बूथ पर नहीं पहुंच पाते हैं। ऐसे ही भारत से बाहर रहने वाले लोग भी हैं, जिन्हें हम एनआरआई कहते हैं। एनआरआई भी वोट डालने के लिए वक्त पर भारत नहीं आ पाते हैं।
क्या इस समस्या का कोई समाधान है...?
ऐसी तमाम समस्याओं से बचने के लिए और वोटिंग प्रतिशत को बढ़ाने के लिए कुछ ना कुछ उपाय सोचने की जरूरत हैं। फिलहाल, सरकारी की तरफ से तो ऐसी किसी आधिकारिक उपायों के बारे में सुनने को नहीं मिला है। हालांकि कुछ लोग हैं जो इस समस्या का हल निकालने की कोशिश कर रहे हैं। मुंबई की एक कंपनी ने ऑनलाइन वोटिंग की तकनीक तैयार की है, जिससे इस समस्या का समाधान हो सकता है।
जी हां आप एकदम सही ख़बर पढ़ रहे हैं, कि आने वाले वक्त में लोग मोबाइल से घर बैठे भी वोट कर पाएंगे। अगर ऐसा संभव हो पाया तो ऊपर लिखी तमाम समस्याओं से काफी हद तक निजात मिल सकती है। आपके दिमाग में इस व्यवस्था के लिए काफी सारे सवाल उठ रहे होंगे, जैसे कि यह कैसे काम करेगा, आप कैसे वोट कर पाएंगे, आपके वोट की सुरक्षा कैसे होगी। इन सभी सवालों का जवाब हम अपने इस आर्टिकल में आगे देने वाले हैं। लिहाजा, आइए हम आपको इस खास टेक्नोलॉजी के बारे में कुछ विशेष बातें बताते हैं।
फोटो क्रेडिट:- Getty images
इस टेक्नोलॉजी को बनाने वाली कंपनी का नाम राइट2वोट यानि Right2Vote है। इस कंपनी का दावा है कि उन्होंने एक ऐसी टेक्नोलॉजी बनाई, जिसके जरिए घर से दूर रहने वाले लोग भी अपने-अपने इलाकों में आसानी से वोट कर पाएंगे। नीरज गुटगुटिया। नीरज ने "राइट2वोट" का एक प्लेटफॉर्म तैयार किया है, जिसके जरिए लोग कहीं से भी सिर्फ अपने मोबाइल के जरिए वोट कर पाएंगे। कंपनी के मुताबिक इस टेक्नोलॉजी के जरिए कोई भी व्यक्ति घर बैठे मतदान कर सकता है।
ऐसे में एक सवाल उठता है कि मोबाइल से वोट करना कितना सुरक्षित साबित होगा। इसके लिए कंपनी का कहना है कि मोबाइल वोटिंग की सुरक्षा के लिए कंपनी ने एक अलग डिवाइस बनाया है। इस डिवाइस को किसी वोटिंग बूथ में ईवीएम की जगह इस्तेमाल किया जा सकता है। हमने इस बारे में राइट2वोट के फाउंडर और सीईओ से नीरज गुटगुटिया से बात की है। उन्होंने हमें बताया कि राइट2वोट कैसे काम करता है और इसके क्या-क्या फायदे हो सकते हैं। हम यहां इस बातचीत को आपके साथ साझा कर रहे हैं।
राइट2वोट कैसे काम करेगा...?
इस प्लेटफॉर्म के जरिए लोग घर बैठे अपने मोबाइल के जरिए वोट कर पाएंगे। राइट2वोट एक ऐप है। वोटिंग के लिए चुनाव आयोग जब वोटिंग लिस्ट बनाता है तो उसका एक आधिकारिक लिंक हर वोटर के मोबाइल पर जाता है। उस लिंक को क्लिक करने के बाद वोटर सीधा राइट2वोट के लॉगिन पेज पर चले जाते हैं। वहां वोटर को अपना आधार कार्ड नंबर डालना होगा, जिसके बाद उनके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी जाएगा। उस ओटीपी को मशीन में डालने के बाद उस व्यक्ति के क्षेत्र का बैटेल पेपर उन्हें दिख जाएगा।
जिसके बाद वो अपने क्षेत्र के उम्मीदवारों में से अपने पसंदीदा उम्मीदवार को चुन सकते हैं। चुनने के बाद व्यक्ति को एक कंफर्मेशन पर्जी भी मिलेगी। हालांकि इसके अलावा सरकारी इलेक्शन के लिए इस कंपनी ने एक खास मशीन भी बनाई है। यह मशीन हर पोलिंग बूथ पर मौजूद होगी। हर व्यक्ति अपने नजदीकी पोलिंग बूथ पर जाकर इस मशीन के जरिए अपने क्षेत्र के प्रतिनिधी को चुन सकता है।
क्या ऑनलाइन वोटिंग सुरक्षित है...?
कंपनी के मुताबिक यह बिल्कुल सुरक्षित प्लेटफॉर्म है, जिसके जरिए देश का कोई भी नागरिक देश के किसी भी हिस्से से अपनावोट डाल सकता है। कंपनी ने कहा कि उनके इस सिस्टम को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of electronics and information technology) के अंतर्गत आने वाले एसटीक्यूसी यानि मानकीकरण परीक्षण और गुणवत्ता प्रमाणन (Standardisation Testing and Quality Certification) ने टेस्ट करके सर्टिफाइड किया है। लिहाजा यह प्लेटफॉर्म ऑनलाइन वोटिंग के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है।
ऑनलाइन वोटिंग के लिए कितने प्लेटफॉर्म देश में मौजूद हैं...?
कंपनी के मुताबिक सरकारी चुनावों के लिए भारत में अभी तक सिर्फ एक ही सर्टिफाइड ऑनलाइन वोटिंग प्लेटफॉर्म है। इसके अलावा कॉरप्रेट वोटिंग के लिए तीन अन्य प्लेटफॉर्म भी देश में मौजूद हैं।
क्या अभी तक कोई भी सरकारी इलेक्श राइट2वोट के जरिए हुआ है...?
कंपनी का कहना है कि कुछ दिनों बाद महाराष्ट्र चुनाव आयोग के तरफ से आयोजित किए जाने वाले पंचायत चुनाव में इस प्लेटफॉर्म का उपयोग किया जाएगा। हालांकि फिलहाल महाराष्ट्र चुनाव आयोग पूरी तरह से मोबाइल वोटिंग पर निर्भर नहीं होना चाहती इसलिए हर पोलिंग बूथ पर कंपनी की खास मशीन रखी जाएगी, जिसके जरिए मतदाता कहीं से भी अपने पंचायत के लिए वोट कर पाएंगे।
ऑनलाइन वोटिंग के तीन सबसे बड़ा फायदे क्या होंगे...?
1. कंपनी ने कहा इसकी वजह से मतदाताओं की संख्या बढ़ेगी। आज के समय में लाखों-करोड़ों मतदाता अपने घर से दूर रहने की वजह से वोट नहीं कर पाते। ऑनलाइन वोटिंग सिस्टम की वजह से वो कहीं से भी सुरक्षित वोट कर पाएंगे।
2. कंपनी का कहना है कि इस व्यवस्था की वजह से दूसरा सबसे बड़ा फायदा पैसों की बचत होगा। हर बार चुनाव आयोजित करने में काफी पैसा खर्चा होता है लेकिन ऑनलाइन वोटिंग सिस्टम की वजह से 90% पैसों की बचत होगी।
3. कंपनी के मुताबिक इसका तीसरा सबसे बड़ा फायदा टाइम सेविंग यानि समय का बचना होगा। कंपनी का कहना है कि आज के दौर में इलेक्शन के दौर में नेता-राजनेता समेत जनता का भी काफी समय बर्बाद होता है लेकिन ऑनलाइन वोटिंग सिस्टम के आने से ऐसा नहीं होगा। इसके अलावा ऑनलाइन वोटिंग की वजह से इंस्टेंट रिजल्ट भी मुहैया कराए जा सकते हैं।
लिहाजा, इस तरह से राइट2वोट कंपनी अपने ऑनलाइन वोटिंग सिस्टम को देशभर में लागू करने की बात कह रही है। बहराल, इस बार तो हमारे देश में लोकसभा चुनाव खत्म होने की कगार पर हैं लेकिन आने वाले वक्त में देखना दिलचस्प होगा कि क्या भारत में ऑनलाइन वोटिंग सिस्टम लागू होता है या नहीं...? क्या अगले लोकसभा चुनाव में मतदाता ऑनलाइन वोट डाल पाएंगे या नहीं...?
अगर यह सिस्टम लागू होता है तो क्या यह कामयाब होगा या नहीं...? इन सवालों के जवाब जानना वाकई में दिलचस्प है लेकिन एक बात तो तय है कि हमारे देश के लोकतंत्र तो मजबूत करने के लिए अधिकतम नागरिकों को वोट डालना काफी जरूरी है और उसके लिए ऑनलाइन वोटिंग की व्यवस्था करना भी काफी जरूरी है।
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