क्या है गूगल अल्फाबेट

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हाल ही में विश्व विख्यात सर्च इंजन गूगल ने ‘‘अल्फाबेट इंक'' नामक नई कंपनी बनाई है। गूगल की अब से सभी गतिविधियां इसी कंपनी के अंतर्गत संचालित हुआ करेंगी। हमारे लिए गौरव की बात है कि भारतीय मूल के सुंदर पिचाई को गूगल का सीईओ नियुक्त किया गया है।

आपको बताते चले कि अब से इसी नई कंपनी के अंतर्गत गूगल अपनी लोकप्रिय सेवाओं जैसे इंटरनेट सर्च, ऐप, यूट्यूब और एंड्रॉयड आदि को जारी रहेगा। यद्यपि गूगल की समस्त सेवाएं पहले की ही तरह जारी रहेंगी तथा साधारण व्यक्ति के जीवन पर गूगल के इस परिवर्तन का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

पर गूगल के संस्थापक लैरी पेज का मत है कि गूगल अब कई तरह की सेवाएं दे रहा है और ऐसे में कंपनी के पुनर्गठन से उसका ढांचा ज्यादा आसान होगा। साथ ही अल्फाबेट के साथ कुछ नई चीजें भी जोड़ी गई हैं जैसे निवेश, शोध ईकाइयां, स्मार्ट-होम यूनिट ‘नेस्ट' और ड्रोन आदि। अब गूगल के सभी उत्पाद और योजनाएं अल्फाबेट इंक नामक नई छत के अंतर्गत होगी।

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लैरी पेज (को-फाउंडर, गूगल) की ब्लॉग पोस्ट के अनुसार, गूगल अब ‘स्लिमड डाउन' कंपनी बन गई है और अल्फाबेट इंक का हिस्सा होगी। उन्होंने कहा, ‘सुंदर गूगल को और ज्यादा क्लीन और जिम्मेदारपूर्ण बनाएंगे।' हालांकि अल्फाबेट की जिम्मेदारी पेज सीईओ और गूगल के को-फाउंडर सेर्गे ब्रिन प्रेसिडेंट के रूप में संभालेंगे। गूगल के संस्थापक लैरी पेज इसके चीफ एग्जीक्यूटिव होंगे। इसको यूं भी कह सकते हैं कि गूगल ने अपने बिजनेस की रीस्ट्रक्चरिंग करते हुए अपनी एक पैरेंट कंपनी अल्फाबेट इंक बनाई है। गूगल के वेंचर, प्रोजेक्ट आदि भविष्य में अल्फाबेट के तहत ही काम चलेंगे। बताया जा रहा है कि इस रीस्ट्रक्चरिंग का मुख्य कारण बड़ी परियोजनाओं और इंटरप्रन्‍योरशिप पर अपना ध्यान केंद्रित करना है।

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ड्राइवरलेस कार, एंटी एजिंग तकनीक तथा गुब्बारों से इंटरनेट एक्सेस करने जैसी महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर अब पैरेट कंपनी विशेष ध्यान देगी। गूगल को लगता है कि शायद पारंपारिक तरीके से ऐसा करना संभव नहीं हो पाता। अतः अब कंपनी के को-फाउंडर लैरी पेज तथा सर्जि बिन अब फैबलेट को देखेंगे तो गूगल के परंपरागत व्यवसाय इंटरनेट बिजनेस को उसकी कोर टीम के सदस्य संचालित करेंगे। सर्च इंजन से शुरूआत करने वाले गूगल ने एंड्रॉयड, यूट्यूब तथा जीमेल आदि से सारे विश्व में घूम मचा दी। निरंतर बढ़ते कदमों और उन्नति को छूने से कंपनी के प्रबंधन को लगा कि इतनी सारी परियोजनाएं एक कंपनी द्वारा संचालित करना मुश्किल हो सकता है। ऐसे में जरूरी है कि अलग-अलग कंपनियां व लीडर हो, उनके लिए अलग-अलग कल्‍चर तथा रिसॉर्सेज भी उपलब्ध हो। इन्हीं जरूरतों ने अल्फाबेट इंक को जन्म दिया।

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जबकि इस कंपनी के नाम को लेकर गूगल फंसता दिखाई दे रहा है क्योंकि मीडिया से आने वाली खबरों के अनुसार अल्फाबेट के लिए वेब ऐड्रेस Alphabet.com प्रसिद्ध कार निर्माता जर्मनी कंपनी बीएमडब्ल्यू के नाम पर पहले से पंजीकृत है। इसी नाम पर ट्विटर हैंडल भी प्रयोग हो रहा है। @Alphabet ट्विटर हैंडल को Chris Andrikanich नामक व्यक्ति काफी समय से उपयोग कर रहा है।

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द न्यूयॉर्क टाइम्स की माने तो गूगल को पेरेंट कंपनी का नाम अल्फाबेट रखने के बाद कॉपीराइट से जुड़ी अड़चनों का सामना करना पड़ सकता है। दरअसल, जर्मन कार मेकर बीएमडब्ल्यू ग्रुप की एक कंपनी के पास अल्फाबेट का कॉपीराइट है और तो और, कंपनी के पास Alphabet.com नामक डोमेन भी पंजीकृत है। बीएमडब्ल्यू का कहना है कि वह इस डोमेन नेम को किसी को बेचने को तैयार नहीं है। पॉल ग्राहम (फाउंडर, अमेरिकी फंडिंग कंपनी Y Combinator) के अनुसार, कंपनियों को अपना नाम रखने से काफी पूर्व डॉट कॉम डोमेन नेम पंजीकृत कर लेना चाहिए। हालांकि, डोमेन नेम कंपनी की ऑनलाइन उपस्थिति पर अधिक प्रभाव नहीं डालता, पर अपने नाम का डॉट कॉम डोमेन नेम न मिलना ‘कमजोरी की निशानी'
माना जाता है। जबकि अल्फाबेट इंक इसको कोई बहुत बड़ी समस्या नहीं मानता। फाउंडर लैरी पेज की माने तो अल्फाबेट के नाम से नए उत्पाद लॉन्च नहीं होंगे तो ऐसे में जनता में इसका नाम गूगल की तरह बहुत अधिक प्रयोग में नहीं आएगा।

 
Best Mobiles in India

English summary
A look at what’s changing, what's not and what it all means for Google and its research

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