जो अमेरिका नहीं कर पाया भारत ने कर दिखाया, इसरो को मिली सफलता

By Aditi
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के द्वारा आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा केन्‍द्र से सोमवार सुबह, भारत में निर्मित, अंतरिक्ष शटल को सफलतापूर्वक परीक्षण प्रक्षेपित किया गया।

 

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इसरो के इस प्रयास को भारतीय अंतरिक्ष प्रयास में एक सफलतम कदम के रूप में देखा जा रहा है क्‍योंकि इससे पूर्व 2011 में इसी तरह के प्रयास को करके यू.एस. ने छोड़ दिया था, क्‍योंकि उन्‍हें सफलता हासिल नहीं हुई थी। इस शटल के परीक्षण प्रक्षेपण के बारे में जानिए अन्‍य बातें -

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जिस शटल का परीक्षण प्रक्षेपण किया गया है उसे रियूजबल लांच व्‍हीकल कहा जाता है। इसकी लम्‍बाई 6.5 मीटर और वजन 1.75 टन है। इसका पूरा नाम RLV-TD है।

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आरएलवी-टीडी, जिसे सोमवार को सतीश धवन स्‍पेस सेंटर से लांच किया गया था, उसके फाइनल वर्जन को बनाने में 10-15 साल का समय लग सकता है। माना जाता है कि यह रॉकेट को बनाने का बहुत ही प्रारंभिक कदम है।

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आरएलवी - टीडी प्रोजेक्‍ट को बनाने में सरकार ने कुल 95 करोड़ की लागत लगाई है।

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इसरो के अध्‍यक्ष, किरन कुमार का कहना है कि परीक्षण के तौर पर लांच किए गए आरएलवी में सफलता मिलने पर भारत को अंतरिक्ष के लिए बुनियादी ढांचा बनाने की कीमत को कम करने के प्रयासों में आसानी होगी।

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आरएलवी के प्रयासों में अमेरिका को वर्ष 2011 में सफलता नहीं मिली, लेकिन भारत ने सफलतापूर्वक परीक्षण प्रक्षेपण करके अपने आप को सुपरस्‍ट्रांग नेशन साबित कर दिया।

 
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English summary
ISRO successfully launched India's first ever indigenous space shuttle.

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