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एक जमाने में मोबाइल का मतलब नोकिया होता था, अब ऐसा क्यों नहीं है...?
आज के दौर में स्मार्टफोन मार्केट सबसे ज्यादा मुनाफे में है। कारण है कि स्मार्टफोन्स की डिमांड में इजाफा हो रहा है। बढ़ती स्मार्टफोन की डिमांड ने आज मार्केट में सैकड़ों फोन की कंपनियों को लाकर खड़ा कर दिया है। एक तरफ जहां शाओमी और रियलमी जैसी कंपनियों ने अफोर्डेबल कीमत वाले सेगमेंट पर कब्जा कर रखा है।
नोकिया का इतिहास
वहीं, ऐप्पल जैसी कंपनी ने हाई रेट वाले सेगमेंट पर अपनी पकड़ मज़बूत कर रखी है। लेकिन बात करें आज से कुछ 12 साल पहले ही तो लोगों के लिए फोन का मतलब नोकिया हुआ करता था, जैसे आज तक टूथपेस्ट का मतलब कोलगेट है। लेकिन फिर ऐसा क्या हुआ कि ये कंपनी कहीं गुम सी हो गई, लेकिन कमाल की बात है कि नोकिया फिर संभली। नोकिया की बनने, गिरने और फिर संभलने की कहानी बहुत दिलचस्प है। चलिए जानते हैं।
1865 में हुई नोकिया की शुरुआत
नोकिया सिर्फ कुछ सालों पुरानी कंपनी नहीं है बल्कि नोकिया के जन्म को 155 साल हो चुके हैं। नोकिया कॉर्पोरेशन की शुरुआत सन 1865 में फ़िनलैंड में हुई थी। नोकिया ने कई उद्योग किए। सबसे पहले इसे लुगदी मिल के रूप में स्थापित किया गया था और लंबे समय तक नोकिया रबड़ और केबल्स से जुड़ी रही। लेकिन बीच में कंपनी ने कई क्षेत्रों में भी अपना हाथ आजमाया।
नोकिया के शुरुआती दिन
* साल 1984
नोकिया ने 1984 में सलोरा का अधिग्रहण कर लिया। हालांकि नोकिया सलोरा के साथ 1960 के दशक से काम कर रही थी। लेकिन अधिग्रहण के बाद दोनों ने मिलकर वीएचएफ रेडियो का निर्माण किया।
* साल 1966
साल 1996 में नोकिया और सलोरा ने एपीआरएस ARPs (Autoradiopuhelin or radio car phones) बनाया।
* साल 1978
ये बेहद अहम साल था क्योंकि इस साल नोकिया ने फिनलैंड में मोबाइल नेटवर्क की शुरुआत की थी। कंपनी ने 100 फीसदी कवरेज के साथ इसको शुरू किया था।
* साल 1979
इस साल नोकिया ने सलोरा के साथ मिलकर मोबिरा ओवाई कंपनी को शुरू किया। नई कंपनी के तहत इन्होंने नॉर्डिक मोबाइल टेलीफोन के लिए पहला हैंडसेट 1जी का निर्माण किया। ये एक फुल फंक्शन फोन था।
1982 से 1987 के बीच नोकिया का सफर
* साल 1982 में नोकिया का पहला कार फोन मोबिरा सेनाटोर आया।
* अब इस कंपनी नोकिया मोबिरा ओवाई 'Nokia-Mobira Oy' का नाम दिया गया। इसी साल कंपनी का मोबिरा टॉकमैन 800 लॉन्च हुआ।
* वहीं, साल 1987 में मोबिरा सिटिमैन 900 को पेश किया गया जो कि सुपरहिट साबित हुआ। ये फोन 500 ग्राम वज़नी था। इससे पहले कंपनी ने 10 और 5 किलो के फोन पेश किए थे। कंपनी का मोबिरा सिटिमैन 900 एक स्टेटस सिंबल फोन साबित हुआ था।
* इस साल कंपनी का नाम बदला और अब 'Nokia-Mobira Oy' नोकिया मोबाइल फोंस बन गई। ये वो साल था जब कंपनी दूरसंचार के क्षेत्र में एंट्री कर चुकी थी। तो कंपनी ने फिनिश सरकार का उपक्रम टेलीफेनो में शेयर्स खरीदें।
साल 1992 में हुई नोकिया कम्यूनिकेशन की शुरुआत
साल 1992 में नोकिया ने मोबाइल के अलावा अपना कारोबार बेच दिया। अब नोकिया ने नोकिया कम्यूनिकेशन की शुरुआत की। इस साल कंपनी ने अपना पहला डिजिटल जीएसएम फोन Nokia 1011 मार्केट में पेश किया। चूंकि ये फोन 10 नंवबर को पेश हुआ था इसीलिए इसे नाम दिया गया नोकिया 1011. अब तो जैसे कंपनी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और मोबाइल क्षेत्र में टॉप पर जाने का मन बना लिया हो। इसी साल एरियल के साथ Nokia 101 आया।
1994 से 1998 तक नोकिया का सफ़र
* साल 1994
इसके बाद कंपनी ने Nokia 2110 का निर्माण किया। इसमें नोकिया की रिंगटोन भी गई थी।
* साल 1996
इस साल कंपनी ने थोड़ा सा अपग्रेडशन के साथ Nokia 8110 पेश किया।
* साल 1997
अब नए फीचर्स से लैस नोकिया 6110 ने दस्तक दी।
साल 1998 में आया 8810
साल 1998 में Nokia 8810 आया था जिसमें बाहरी एंटीना नहीं दिया गया था। ये एक फीचर फोन था। अब कंपनी स्मार्टफोन को लेकर कोशिश करने लगी। इसी के चलते सिंबियन ओएस पर ऑपरेट होने वाला 9000 Communicator मार्केट में आया।
ये फोन एक मिनी लैपटॉप की तरह लगता था। इसे खरीददारों ने खूब सराहा। अब कंपनी ने भारतीय मार्केट में भी अपनी एंट्री की। ये कंपनी के वो फोन थे जिन्होंने लोगों को नोकिया लवर बना दिया था। दिग्गज कंपनियां Motorola और Ericsson भी नोकिया से पिछड़ गई थी। नोकिया इस वक्त तक दुनिया की नंबर 1 मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरर कंपनी बन चुकी थी।
नोकिया की बादशाहत
नोकिया की कामयाबी की कहानी सिर्फ यहीं तक नहीं थी। अभी तो नोकिया को और ऊंचाईयों पर जाना था। नोकिया का हर फोन इतिहास लिख रहा था। आइए आपको बताते हैं कि आने वाले सालों में नोकिया ने पूरी दुनिया और भारत में भी इनता नाम कमाया कि मोबाइल का मतलब ही नोकिया हो गया था।
साल 2002
अब 3जी के जमाने की शुरुआत हुई थी। नोकिया ने भी साल 2002 में अपना पहला 3जी फोन बनाया। ये फोन था Nokia 6650. इसके बाद कंपनी का रंगीन फोन 7650 लॉन्च किया गया। इसके अलावा, पहला वीडियो रिकॉर्ड में सक्षम मॉडल Nokia 3650 भी भी बनाया गया।
साल 2003 में आया Nokia 1100
इस साल नोकिया ने यूजर्स के नए गेमिंग फीचर्स पेश करनी की सोची और अपना वीडियो गेम वाला N-Gage निकाला। इस साल एक ऐसा फोन भी मार्केट में उतारा जिसने सारी रिकॉर्ड्स तोड़ दिए। ये फोन था नोकिया 1100। इसकी पॉपुलैरिटी इतनी थी कि दुनिया भर में इस मॉडल की 250 मिलियन यूनिट्स की सेल हुई। ये फोन अब भी लोग इस्तेमाल करते हैं।
साल 2005 में आई Nokia N Series
नोकिया तेजी से आगे बढ़ रही थी। चोटी पर पहुंच चुकी नोकिया ने साल 2005 में अपनी N Series के तहत N 71, N 81 के साथ N 95 को उतारा। ये भी एक शानदार सीरीज़ साबित हुई। इसके अलावा ExpressMusic और 'E' सीरीज भी बच्चे बच्चे की जुबान पर रहने लगी। साल 2005 में नोकिया का दुनिया की 60 फीसदी मार्केट पर कब्जा हो गया था। वहीं स्मार्ट ओएस में ब्लैकबेरी जैसे दिग्गज के होते हुए भी नोकिया सिंबियन ओएस का कब्जा 80 फीसदी बाजार पर था।
2007 से नोकिया का डाउनफॉल हुआ शुरू
एकदम टॉप पर पहुंच चुकी नोकिया अब आंखों से दूर होने लगी। साल 2007 में कंपनी की शान कम हो गई। क्योंंकि अब स्मार्टफोन की मार्केट ग्रो कर रही थी। हालांकि मार्केट में Nokia सिंबिंयन ओएस मौजूद था लेकिन फिर इस साल एप्पल का आईफोन 3जी आया। इसके साथ साथ एंड्रॉयड फोन ने भी दस्तक दे दी। साल 1998 के हिसाब से देखें तो सिंबियन काफी एडवांस फोन था।
पहली बार आया ड्युल सिम फोन
चूंकि 10 साल बाद भी इसमें कोई अपग्रेडेशन नहीं हुआ तो लोगों ने इसे नकार दिया और वो दूसरे स्मार्टफोन्स की तरफ जाने लगे। इसी के साथ नोकिया की बादशाहत सिमट सी गई। वक्त के साथ कंपनी खुद को अपग्रेड करने में नाकामयाब रही। अन्य कंपनियां साल 2007-08 में ड्यूल सिम के साथ फोन पेश करने लगी थी। वहीं इस रेस में पिछड़ते हुए नोकिया ने साल 2010 में पहली बार ड्यूल सिम से लैस फोन उतारा। कंपनी की फीचर मार्केट भी अब कमजोर पड़ गई।
साल 2011 में आई गिरावट
एंड्रॉयड से नोकिया को लगातार टक्कर मिलती रही। इसका नतीजा ये हुआ कि कंपनी ने सिंबियन को छोड़ दिया लेकिन एंड्रॉयड को नहीं अपनाया। बल्कि, साल 2011 में कंपनी का पहला विंडोज़ फोन मार्केट में पेश हुआ। ये फोन कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाया। वहीं, इसी साल सैमसंग ने भी अपना गैलेक्सी एन्ड्रॉयड उतार दिया। लोगों ने सैमसंग को ज्यादा पसंद किया। इसी के चलते नोकिया के स्मार्टफोन के शिपमेंट में 65 फीसदी की गिरावट हुई।
नोकिया को लगा बड़ा धक्का
साल 2011 में आईफोन ने नोकिया को स्मार्टफोन मार्केट में पछाड़ दिया। इसके बाद साल 2012 में सैमसंग ने पूरे मोबाइल बिजनेस में नोकिया को औंधे मुंह गिरा दिया। नोकिया लाख कोशिशों के बाद भी अब उठ नहीं पाई। इसके बाद ऐसे दिन आए कि नोकिया कंपनी बिक गई।
साल 2011 में आया Lumia 800
साल 2011 में नोकिया को विंडोज ओएस बेस्ड लुमिया 800 आया। इस फोन की चर्चा तो हुई लेकिन ये फोन भी नोकिया के अच्छे दिन नहीं ला सका। साल 2011 में फिर नोकिया का फीचर फोन में आशा मॉडल आया। मगर निराशा के अलावा कंपनी को कुछ नहीं मिला। इसके बाद 808, लुमिया 960 और लुमिया 1020 जैसे शानदार विंडोज फोन तो आएं लेकिन लोगों को विंडोज ओएस पसंद नहीं आया। इसके बाद साल 2013 में माइक्रोसॉफ्ट ने नोकिया का अधिग्रहण कर लिया। नोकिया का सफर खत्म हो गया।
माइक्रोसॉफ्ट - नोकिया डील
अब नोकिया के पास केवल नेटवर्क इक्विपमेंट कारोबार था। माइक्रोसॉफ्ट - नोकिया की डील के मुताबिक, नोकिया के डिवाइस एंड सर्विसेज के सभी 32,000 कर्मचारी माइक्रोसॉफ्ट के अंतर्गत आ गए थे। माइक्रोसॉफ्ट ने नोकिया एक्स, आशा और लुमिया ब्रांड के नाम का अधिग्रहण किया था जो सिर्फ दिसंबर 2015 तक ही माइक्रोसॉफ्ट के पास थी। इसके अलावा फीचर फोन का लाइसेंस 10 सालों के लिए माइक्रोसॉफ्ट के पास था। नोकिया की ट्यून का अधिकार अब भी नोकिया के पास ही था। डील के मुताबिक, साल 2015 के बाद नोकिया अपने नाम से फोन बना सकती थी। वहीं, उधर माइक्रोसॉफ्ट ने भी नुक्सान के चलते फोन बनाने बंद कर दिए।
नोकिया ने खुद को संभाला
साल 2016 में फीचर फोन निर्माण का अधिकार ताइवानी कंपनी फॉक्सकॉन (FOXCON) को मिला। इसके अलावा कंपनी ने नोकिया ब्रांड का नाम दस सालों के लिए फ़िनलैंड की ही कंपनी 'एचएमडी ग्लोबल ओवाई' (HMD Global OY) को दे दिया। नोकिया फोन का निर्माण अब फॉक्सकॉन और एचएमडी ग्लोबल दोनों करते हैं। साल 2017 में सबसे Nokia 6 मॉडल को पेश हुआ। अब तक Nokia 5 सीरीज, Nokia 3 सीरीज, Nokia 3310 और बनाना फोन जैस आईकॉनिक मॉडल को लॉन्च किया जा चुका है।
नोकिया-मेड इन इंडिया
एचएमडी ग्लोबल के वाइस प्रेजीडेंट सनमित सिंह कोचर ने एक इंटरव्यू में कहा कि आने वाले दिनों में नोकिया ब्रांड के फीचर फोन भारत में बनाए जाएंगे। नोकिया को आज भी भारतीय मार्केट में पसंद किया जाता है। हालांकि, नोकिया शुरू से ही मेड इन इंडिया की फैन रही है। साल 2003 से ही नोकिया ने की ऐसे फोन उतारे थे जो भारतीय यूज़र्स पर फोकस करके बनाएं गए थे। इनका मेन्यू भी हिंदी रखा गया था। Nokia भारत में निर्माण इकाई शुरू करने वाली पहली मोबाइल कंपनी थी। अब उम्मीद है कि कंपनी एक बार फिर से संभलेगी और अपने खोए हुए रुतबे को हासिल कर सकेगी।
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