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मंगल ग्रह का ये नक्शा देख आप भी बोलेगें, खुल सकता है बड़ा रहस्य, वैज्ञानिकों को मिली बड़ी जीत
सौर मंडल में ग्रहों की बात करें तो मंगल सूरज से 14.2 करोड़ मील की दूरी पर स्थित है. वहीं सौर मंडल में धरती की बात करे तो तीसरे नंबर पर है. धरती सूरज से 9.3 करोड़ मील की दूरी पर स्थित है. धरती की तुलना में मंगल ग्रह लगभग इसका आधा है. जहां धरती का व्यास 7,926 मील है, मंगल का व्यास 4,220 मील है. वजन की बात की जाए तो मंगल धरती के दसवें हिस्से के बराबर है.
मंगल ग्रह पर इंसानों की बस्ती
मंगल ग्रह वैज्ञानिकों को सबसे ज्यादा पसंद आता है. दुनियाभर के साइंटिस्ट मंगल पर खोज में जुटे हुए हैं. कई मिशन ऐसे हैं जो भविष्य में मंगल ग्रह पर इंसानों की बस्ती बसाने पर काम कर रहा है, तो किसी मिशन के तहत मंगल ग्रह के भौगोलिक इतिहास को टटोलने की कोशिश कर रहे हैं. एक नए प्रोजेक्ट में मंगल ग्रह पर मौजूद सैकड़ों-हजारों रॉक संरचनाओं की मैपिंग की गई है. अनुमान है कि अतीत में इन्हीं जगहों पर बड़ी मात्रा में पानी की मौजूदगी रही होगी.
Institut d'Astrophysique Spatiale
रिपोर्ट की माने तो , इस मैप को बनाने के लिए दो मार्स ऑर्बिटर के डेटा का इस्तेमाल किया गया है. पेरिस स्थित Institut d'Astrophysique Spatiale के प्लैनेटरी साइंटिस्ट जॉन कार्टर ने एक बयान में कहा कि मुझे लगता है कि हमने सामूहिक रूप से मंगल ग्रह आसान बना दिया है. यह मैप सभी सवालों के जवाब नहीं देता, पर यह उन जगहों को पॉइंट आउट करता है, जहां सुराग मिलने के ज्यादा चांस दिखाई दे रहे हैं. इनमें से कुछ साइट में अभी भी सतह के नीचे बर्फ दबी हो सकती है.
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के अनुसार उसके मार्स एक्सप्रेस ऑर्बिटर (Mars Express orbiter) और (Mars Reconnaissance Orbiter) के ऑब्जर्वेशन ने रिसर्चर्स को यह मैप बनाने में मदद की. ESA के अनुसार यह प्रोजेक्ट एक दशक में पूरा हो पाया है. इससे पहले वैज्ञानिकों को मंगल ग्रह पर सिर्फ करीब 1,000 रॉक संरचनाओं के बारे में पता था जिनमें हाइड्रेटेड खनिज होते हैं. इस नए नक्शे में ऐसे हजारों संरचनाओं का पता चलता है.
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जॉन कार्टर ने कहा खनिजों को न देखना वास्तव में विषमता
जॉन कार्टर ने बताया कि इस काम ने साबित किया है कि जब आप प्राचीन इलाकों का विस्तार से अध्ययन कर रहे होते हैं, तो इन खनिजों को न देखना वास्तव में विषमता होती है.
मंगल ग्रह पर मिले कई सबूतों से पता चलता है कि इसकी सतह पर कभी पानी बह रहा था. नए निष्कर्ष बताते हैं कि पानी ने अपने इतिहास के दौरान मंगल के भूविज्ञान (geology) को आकार देने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई. हालांकि अभी भी यह स्पष्ट नहीं है कि पानी की उपस्थिति समय के साथ सुसंगत थी.
जॉन कार्टर का कहा है कि पानी की भरपूर मौजूदगी से लेकर बिना पानी वाला मंगल ग्रह कैसे बना, यह अभी स्पष्ट नहीं हो सका है. पर एक चीज क्लीयर है कि पानी एक रात में खत्म नहीं हुआ है.
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