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रिलायंस जियो ने 2016 में टेलिकॉम सेक्टर में कदम रखा। कंपनी ने आते ही तहलका मचा दिया। जियो के आने के बाद से ही बाकी टेलिकॉम कंपनियों को काफी नुकसान पहुंचा। जिससे उभरने के लिए कंपनियां अभी तक नए प्लान और ऑफर्स को पेश कर रही हैं। उतना ही नहीं, कंपनियों ने अपने मौजूदा प्लान्स में भी काफी बदलाव किया है। जिससे वह यूजर्स को अपनी तरफ कर सकें।
फोटो क्रेडिट:- गूगल, हिंदूस्तान
हालांकि रिलायंस जियो के आने से एक और कंपनी को काफी नुकसान पहुंचा है। यह कंपनी मुकेश अंबानी के छोटे भाई अनिल अंबानी की है। बता दें, अनिल अंबानी की कंपनी RCom काफी घाटे में चल रही है। वित्तीय हालत इतनी खस्ता हो चुकी है कि अनिल अंबानी के मालिकाना हक वाली कंपनी RCom महज 500 करोड़ रुपये का भी कर्ज चुकाने में भी लाचार है। RCom कंपनी पर आज के समय में करीब 47,000 करोड़ रुपये का कर्ज चढ़ा हुआ है।
कई नाकाम डील्स है कारण...
साल 2005 में आरकॉम मिलने के बाद अनिल अंबानी ने साल 2006 में इसे शेयर बाजार पर सूचीबद्ध कराया। लेकिन इस क्षेत्र के बेहद चुनौतीपूर्ण प्रकृति का होने और भारी-भरकम निवेश की जरूरत की वजह से कंपनी पर इसका असर पड़ना शुरू हो गया। इसकी खास वजह नई प्रौद्योगिकी थी जिसके लिए कंपनी को नए उपकरणों और स्पेक्ट्रम खरीदने की जरुरत थी। इस बीच आरकॉम को तथाकथित जीएसएम लॉबी से भी निपटना था, जिनमें एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया जैसी कंपनियां शामिल थीं। कंपनी की साल 2010 में जीटीएल इन्फ्रा से 50,000 रुपये की डील भी किसी काम ना आई।
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इसके बाद साल 2017 में कंपनी का एयरसेल के साथ विलय का सौदा भी नाकाम रहा। इतना ही नहीं, कंपनी की कनाडा की इन्फ्रा कंपनी ब्रुकफील्ड के साथ टावर सेल डील भी असफल रही। जब आरकॉम ने इंटरप्राइज बिजनस की तरफ अपना ध्यान केंद्रित किया, तो उसकी कर्ज निपटान प्रक्रिया और कठिन हो गई, क्योंकि कर्जदाताओं ने कर्ज की वसूली के लिए कोर्ट का रुख कर लिया। वहीं, स्वीडन की कंपनी एरिक्शन भी आरकॉम के खिलाफ 550 करोड़ रुपये के विलफुल डिफॉल्ट के लिए कोर्ट पहुंच गई। जिसके बाद अभी तक कंपनी काफी बुरे हाल में हैं।