Just In
- 5 hrs ago OPPO Find X7 Ultra Camera Deep-Dive: स्मार्टफोन पर फोटोग्राफी की सीमाओं को आगे बढ़ाने का नया उपाय
- 6 hrs ago Infinix GT 20 Pro 5G की 5,000mAh बैटरी के साथ जल्द होने जा रही एंट्री, जानें कीमत से लेकर फीचर्स डिटेल्स
- 6 hrs ago अब कोडिंग सीखने के लिए एक रु खर्च करने की जरूरत नहीं
- 7 hrs ago Oppo ने 100W फास्ट चार्जिंग, 50MP कैमरा के साथ नया Smartphone किया लॉन्च, जानें कीमत
Don't Miss
- News पंजाब: आम आदमी पार्टी सरकार सिर्फ गारंटी नहीं देती, बल्कि पूरा भी करती है, बोले कुलदीप धालीवाल
- Education MP Board Shivpuri Toppers List 2024: शिवपुरी जिले के 10वीं, 12वीं के टॉपर छात्रों की सूची
- Movies Seema Haider ने पाकिस्तानी प्रेमी का किया खुलासा, कहा- 'मैं उससे शादी करके घर बसाना चाहती थी, लेकिन...'
- Lifestyle प्रेग्नेंसी में बस में सफर कर सकते हैं या नहीं? किन बातों का ध्यान रखना है जरुरी
- Finance IndiGo Airline: आपके एंटरटेनमेंट पर नहीं लगेगा फुल स्टॉप, फ्लाइट में मिलेगी ये खास सर्विस
- Automobiles मिडिल क्लास की पसंदीदा है Hero की ये बाइक, कीमत सिर्फ 75 हजार रुपये, माइलेज भी है शानदार..
- Travel DGCA ने पेरेंट्स के साथ सफर कर रहे 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए बदला नियम, जाने यहां
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
गलत जानकारी फैलाने के लिए सोशल मीडिया का यूज करती है सरकार
प्रोपेगेंडा सरकारों द्वारा उपयोग में लाया जाने वाला एक डार्क आर्ट है, जिसे ब्रेडशॉ के मुताबिक डिजिटल टूल्स और ज्यादा एंडवांस बनाती हैं।
ऑक्सफॉर्ड यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के मुताबिक सरकारें गलत जानकारी और खबरें को फैलाने के लिए एक मंच के रूप में सबसे ज्यादा सोशल मीडिया का सहारा लेती हैं। रिपोर्ट में सामने आया है कि दुनियाभर में मौजूद सरकारें ट्रूप्स के जरिए गलत जानकारी और पब्लिक ऑपिनियन फैलाती हैं। सरकारें इसके लिए फेसबुक, ट्विटर जैसी कई और साइट का सहारा लेती हैं।
पढ़ें- हर रिस्क लेने में माहिर हैं इंडियन, वजह है फ्री Wi-Fi
रिपोर्ट में कहा गया कि सरकारें राजनीति को प्रभावित करने और अपने पक्ष में करने के लिए के लिए ऑनलाइन टूल्स का इस्तेमाल करती हैं और ये सरकारों द्वारा पेड होती हैं। इसके लिए सकार की तरफ से बकायदा टीम हायर की जाती है, जो इमेज डेवलपर और सोशल मीडिया पीआर के तौर पर काम करती है। यूनिवर्सिटी की रिसर्च में सामने आया कि करीब 29 देश डोमेस्टिक लेवल या बाहरी देश के लोगों के बीच ओपिनियन को बिल्ड कराने में सोशल मीडिया का सबसे ज्यादा यूज करते हैं।
पढ़ें- फेसबुक से लिंक मोबाइल नंबर तुरंत करें डिलीट, हो सकता है बड़ा नुकसान
सरकारें ओपिनियन डेवलप करवाने के लिए फेसबुक कमेंट और ट्वीट से लेकर फेक अकाउंट तक का सहारा लेती हैं। रिसर्चर का मानना है कि तानाशाही से लेकर लोकतंत्र द्वारा चुनी गई सरकारें इसका सहारा लेती हैं। कई बार किसी खबर को फैलाने के लिए फेक अकाउंट का भी सहारा लिया जाता है। सरकारों ने ये तरीका सोशल एक्टिविस्ट से सीखा है। एक्टिविस्ट द्वारा किसी जानकारी को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया जाता था।
पढ़ें- अब पोर्न साइट पर यूजर्स को साबित करनी होगी उम्र !
रिपोर्ट में कहा गया सर्बिया में फेक अकाउंट्स के जरिए सरकार अपने एजेंडे को प्रमोट करती है। वहीं वियतनाम में ब्लॉगर्स को इस कामके लिए यूज किया जाता है। इसके अलावा अर्जेंटिना, मैक्सिको, फिलिपिंस, रूस, टर्की, वेनेजुएला समेत कई देशों में इस तरह की सरकारी मुद्दों से जुड़ी पोस्ट को ऑटोमेशन सॉफ्टवेयर (बोट्स) के जरिए वायल किया जाता है। इस रिपोर्ट के आने के बाद भारतीय सरकार इस सोशल मीडिया प्रोपेगेंडा से कितनी अछूती है, एक बड़ा सवाल है।
-
54,999
-
36,599
-
39,999
-
38,990
-
1,29,900
-
79,990
-
38,900
-
18,999
-
19,300
-
69,999
-
79,900
-
1,09,999
-
1,19,900
-
21,999
-
1,29,900
-
12,999
-
44,999
-
15,999
-
7,332
-
17,091
-
29,999
-
7,999
-
8,999
-
45,835
-
77,935
-
48,030
-
29,616
-
57,999
-
12,670
-
79,470