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48,500 साल से सो रहे वायरस को वैज्ञानिकों ने जगाया, क्या है वजह
हिम युग के समय से ही साइबेरिया की पर्माफ्रॉस्ट बर्फ में कई वायरस दबे हुए हैं। वैज्ञानिकों ने इनमें से कुछ को निकालकर जिंदा कर दिया है। यह रिसर्च जोखिम भरा लगता है। लेकिन यह जरूरी भी है। जिस तरह से ग्लोबल वार्मिंग के कारण बर्फ तेजी से पिघल रही है। अगर वायरस का संक्रमण अचानक फैला तो खतरा ज्यादा होगा। इसलिए वैज्ञानिक चाहते हैं कि इन वायरसों को पहले ही खोज लिया जाए और उन पर स्टडी किया जाए, ताकि इनके संक्रमण से बचने का रास्ता खोजा जा सके। वो भी समय से पहले।
इन वायरसों पर एक स्टडी का पेपर भी पेश किया गया है। लेकिन अभी तक इसकी पीयर रिव्यू नहीं की गई है। इस पेपर में कहा गया है कि रूस के सुदूर पूर्वी क्षेत्र में स्थित साइबेरिया के पर्माफ्रॉस्ट से पांच अलग-अलग प्रजातियों (Species) के 13 वायरस खोजे गए हैं और उनके सैंपल इकट्ठा किए गए हैं। इनमें से कुछ वायरस 48,500 साल पुराने हैं। तब से अब तक वे बर्फ के नीचे सो रहे थे। लेकिन अब वे जाग गए हैं।
तीन वायरस सबसे नए
इनमें से तीन वायरस सबसे नए हैं। इनकी उम्र 27 हजार साल है। ये वायरस मैमथ के मल (Stool) से मिले हैं, जो मैमथ के बालों में लिपटे हुए थे। बर्फ में जम गया था। इन्हें मेगावायरस मैमथ, पिथोवायरस मैमथ और पैंडोवायरस मैमथ नाम दिया गया है। इसके अलावा बर्फ में डेड पाए गए साइबेरियन भेड़िए के पेट से दो नए वायरस मिले हैं। इनके नाम पैकमैनवायरस ल्यूपस और पेंडोरावायरस ल्यूपस हैं।
जांच में पता चला कि ये खतरनाक वायरस हैं या नहीं
जब इन वायरस की जांच की गई तो पता चला कि ये मिट्टी और पानी में मौजूद एककोशिकीय अमीबा को संक्रमित करते हैं। अगर मौका और सही वातावरण (Atmosphere) दिया जाए तो वे खतरनाक बीमारी बन सकते हैं। यानी भविष्य में बड़े पैमाने पर महामारी या संक्रमण फैल सकता है। वे अभी भी संक्रमण फैलाने और खुद को दोहराने में सक्षम हैं।
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