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PUBG पर दिल्ली सरकार ने लिया एक्शन, बच्चों के लिए बताया मानसिक खतरा
पिछले कुछ दिनों से पबजी गेम के बारे में काफी सारी नकारात्मक ख़बरें सुनने को मिल रही है। हमने आपको हरेक ख़बरों के बारे में अपडेट किया है। हमने कुछ दिन पहले मुंबई के एक बच्चे की ख़बर आपको बताई थी, जिसने सरकार को चिट्ठी लिखकर इस गेम को बंद करवाने की मांग की थी।
हालांकि महाराष्ट्र सरकार और भारत सरकार ने तो अभी तक इस मामले में कोई संज्ञान नहीं लिया है, लेकिन दिल्ली सरकार ने इस संबंध में एक्शन लिया है। दिल्ली सरकार ने इस गेम को स्कूलों में बंद करने पर काम किया है। दिल्ली कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (DCPCR) ने दिल्ली के सभी स्कूलों में एक नोटिस भेजा है। इस नोट में कहा गया है कि पबजी और फोर्टनाइट जैसे हिंसक गेम को देखने और खेलने से बच्चों की मानसिक स्थिति काफी प्रभावित हो रही है।
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DCPCR ने अपने नोट में पबजी और फोर्टनाइट के अलावा हिटमैन और पोकेमैन गो जैसे ऑनलाइन गेम का भी जिक्र किया है। DCPCR ने नोट में लिखा है कि, ये गेम्स महिला विरोधी है। इसकी वजह से बच्चे नफरत, छल-कपट, प्रतिहिंसा सिख रहे हैं। बच्चों के सीखने वाली उम्र में ऐसे गेम्स उनके ऊपर मानसिक तौर पर कई नकारत्मक प्रभाव डालते हैं।
DCPCR की सदस्य रंजना प्रसाद ने मीडिया को बताया कि इस संबंध में सोमवार को एक एडवाइजरी जारी की गई है, जिसमें पहले से जरूरी उपाय करने के बारे में कहा गया है। उन्होंने कहा कि, आजकल हमें बच्चों में काफी घमंड और गुस्सा देखने को मिलता है। उनका ध्यान पढ़ाई से भटककर हिंसक गेमों की वजह से दूसरी गलत चीजों की तरफ जा रहा है। उनके सोशल लाइफ को नुकसान पहुंच रहा है।
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DCPCR के नोट में लिखा गया है कि स्कूलों में शिक्षक बच्चों को ऐसे गेम से दूर रहने के लिए प्रेरित करें और माता-पिता से भी इसमें सहयोग करने की बात कही गई है। वहीं स्कूल में इन गेम्स को ना खेलने की भी हिदायत दी गई है। आपको बता दें कि गुजरात सरकार ने अपने राज्य के स्कूलों में पबजी गेम पर बैन लगा दिया है।
गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले पीएम मोदी ने दिल्ली में एक कार्यक्रम परीक्षा पर चर्चा के दौरान भी इस गेम का जिक्र किया था। वहां मौजूद एक अभिभावक ने पीएम मोदी से पूछा कि बच्चे को ऑनलाइन गेम से कैसे दूर रखा जाए। जिसके जवाब में पीएम मोदी ने कहा कि, ये पबजी वाला है क्या...। हालांकि पीएम ने इस सवाल के जवाब में कहा कि टेक्नोलॉजी समस्या भी है और समाधान भी है। इन दोनों में बैलेंस रखना जरूरी है। पीएम ने कहा कि 21वीं शताब्दी में बच्चों को टेक्नोलॉजी से दूर रखना भी ठीक नहीं है वहीं इसका ज्यादा और गलत इस्तेमाल करना भी हानिकारक है।
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पबजी गेम पहले सिर्फ डेक्सटॉप गेम था लेकिन फिर इसका मोबाइल वर्जन भी लॉन्च हुआ। जिसके बाद यह काफी लोकप्रिय गेम बन गया। भारत समेत पूरी दुनिया में यह गेम अब काफी लोकप्रिय हो चुका है। भारत में युवकों के साथ-साथ टीनेजर (14-18 वर्ष के बच्चे) और छोटे बच्चे भी इस गेम की लत लगाकर बैठे हुए हैं। हाल ही में एक ख़बर आई थी जहां एक 18 साल के बच्चे ने सिर्फ इसलिए आत्महत्या कर ली क्योंकि उसके माता-पिता उसे पबजी खेलने के लिए एक बढ़िया 37,000 रुपए का स्मार्टफोन खरीदकर नहीं दे रहे थे।
इस घटना के घटित होने के बाद आप समझ सकते हैं कि हमारे समाज में बच्चों की मानसिकता किस स्तर तक बिगड़ गई है। बच्चों को अपनी जान से ज्यादा अहमियत पबजी जैसे गेम्स की लग रही है। ऐसे में सरकार को इस मामले में कोई ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
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